Himachal Pradesh Lok Sabha Chunav 2024: अगर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में वोटर को कोई भी पसंद न हो, तो इसके लिए भी NOTA (None of the Above) का इस्तेमाल कर सकता है. साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से देश के वोटरों में कोई अधिकार मिला है. साल 2004 की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सिंतबर 2013 को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वोट देने के अधिकार में वोट न देने का अधिकार यानी अस्वीकार करने का अधिकार भी शामिल है. साल 2019 लोकसभा चुनाव में नोटा का वोट शेयर 1.06 फीसदी था.
NOTA का यह अधिकार भले ही अब तक दोबारा चुनाव करवाने में सफल न रहा हो, लेकिन इसने कई लोकसभा क्षेत्र में चुनाव का खेल बिगड़ने का काम किया है. साल 2021 में मंडी संसदीय क्षेत्र में जब सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद उपचुनाव हुए, तब कांग्रेस की प्रतिभा सिंह की जीत के मार्जिन से ज्यादा NOTA को वोट मिले थे.
साल 2021 के इस उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को 3 लाख 69 हजार 565 वोट मिले, जबकि बीजेपी के ब्रिगेडियर खुशाल सिंह (रिटायर्ड) को 3 लाख 62 हजार 075 वोट हासिल हुए इस तरह प्रतिभा सिंह के जीत का मार्जन 7 हजार 490 रहा, जबकि इस सीट पर 12 हजार 661 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया. NOTA का जीत के मार्जिन से भी ज्यादा इस्तेमाल होना बीजेपी की प्रत्याशी का खेल बिगड़ने वाला साबित हुआ. उपचुनाव में कांग्रेस को 49.14 फीसदी, जबकि बीजेपी को 48.14 फी दी वोट हासिल हुए. इस उपचुनाव में नोटा का शेयर 1.68 फीसदी रहा.
कहां हुआ NOTA का सबसे ज्यादा इस्तेमाल?
साल 2021 में मंडी संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव में नाचन में 1 हजार 959, किन्नौर में 1 हजार 006, कुल्लू में 993, मंडी सदर में 925, बल्ह में 164, सुंदरनगर में 885, जोगिंदरनगर में 807, द्रंग में 572, आनी में 532, सरकाघाट में 565, बंजारा में 513, मनाली में 476, करसोग में 463, भरमौर में 379 और लाहौल स्पीति में 120 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया. यही नहीं, प्रतिभा सिंह के अपने इलाके रामपुर में भी 412 औ तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह विधानसभा क्षेत्र सिराज में भी 372 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया.
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