Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में तेजी से सड़कों का निर्माण हो रहा है. फोरलेन के नाम पर पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है. इसी वजह से बरसात के मौसम में लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की परेशानी बढ़ गई है. भूस्खलन की वजह पर चर्चा के दौरान बार-बार पहाड़ों के 90 डिग्री कटिंग का मामला उठाया जा रहा है. वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) से इस बारे में बात कर चुके हैं. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) ने भी इसी संदर्भ में केंद्र सरकार से बात की थी.


अब प्रदेश में फोरलेन बनाने के लिए 90 डिग्री पर पहाड़ों की कटाई नहीं की जाएगी. इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मापदंड बदलने का फैसला लिया है. इससे पहाड़ों को होने वाला नुकसान काफी हद तक कम हो सकेगा. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक टीम जल्द ही हिमाचल प्रदेश में बन रही फोरलेन का दौरा करने वाली है. मापदंड में बदलाव करने के लिए तकनीकी टीम भी पहाड़ों का मुआयना करेगी. इसके बाद सड़क निर्माण में पहाड़ियों की कटिंग यदि गुंजाइश होगी तो वह भी पूरी की जाएगी. इससे पहाड़ सुरक्षित रहेंगे और सड़क पर सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा भी पुख्ता हो सकेगी. 12 अगस्त से 15 अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश में एक्सपर्ट कमेटी मुआयना करने के लिए आ रही है.






कालका-शिमला हाईवे पर सबसे ज्यादा भूस्खलन


पहाड़ियों की कटिंग के लिए नए मापदंड अपनाए जाने पर विचार किया जा रहा है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की कोशिश है कि ज्यादातर जगहों पर टनल का निर्माण किया जाए, ताकि पहाड़ों को कम से कम नुकसान हो. इसके अलावा पहाड़ों में स्थिरता लाने की योजना पर भी हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया काम कर रहा है. गौरतलब है कि कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर सबसे ज्यादा भूस्खलन हो रहे हैं. बीते पांच दिनों से चक्की मोड़ में हुए भूस्खलन की वजह से नेशनल हाईवे बंद पड़ा हुआ है.


बदला जाएगा कटिंग का पैटर्न


शिमला-कालका नेशनल हाईवे पर ही सबसे ज्यादा जगहों पर 90 डिग्री की कटिंग की गई है. यही 90 डिग्री की कटिंग प्राधिकरण के साथ आम जनता के लिए आफत बन गई है. अवैज्ञानिक ढंग से की गई यह कटिंग लगातार लोगों को नुकसान पहुंचा रही है. कई मकान खतरे की जद में आ गए हैं और इससे पहले भी कई लोगों की जान इसी हाईवे पर जा चुकी है. लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से यात्री इस फोरलेन में सफर करने में असुरक्षा महसूस कर रहे हैं. यहां न केवल बरसात के मौसम में बल्कि गर्मियों के मौसम में भी भूस्खलन होता है. ऐसे में अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया कटिंग की तकनीक को बदलकर सफर को सुरक्षित बनाने जा रही है.



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