Himachal Pradesh News: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की जान सड़कों में बसती है. लोग आवाजाही के लिए आम तौर पर सड़क मार्ग का इस्तेमाल करते हैं. राज्य गठन के समय साल 1948 में कुल 228 किलोमीटर लंबी सड़क थी. रेल और हवाई सेवा की गुंजाइश कम होने की वजह से हिमाचल में परिवहन का मुख्य साधन सड़क है. हिमाचल प्रदेश में इस समय 41 हजार 202 किलोमीटर की सड़क है.
पक्की सड़क में 34 हजार 970 किलोमीटर और कच्ची सड़क में 6 हजार 232 किलोमीटर है. लोक निर्माण विभाग ने 2 हजार 519 पुलों और 36 हजार 723 किलोमीटर की सड़क पर क्रॉस ड्रेनेज का काम भी किया हुआ है. हिमाचल प्रदेश में कुल 17 हजार 882 गांव हैं. खास बात है कि राज्य के 15 हजार 778 सड़क सुविधा से जुड़ चुके हैं. अन्य 2 हजार 104 गांवों को अभी सड़क सुविधा का इंतजार है.
इस साल 2240.27 करोड़ किये जायेंगे खर्च
हिमाचल प्रदेश में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 21 लाख 99 हजार 964 है. 18 लाख 83 हजार 556 निजी और 3 लाख 13 हजार 906 व्यावसायिक गाड़ियां हैं. राज्य में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या 2 हजार 502 है. हिमाचल प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर 2240.27 करोड़ में से 526.42 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. राज्य में अब तक 18 पुल, 33 नए भवन, 190 किलोमीटर मोटरेबल रोड और 309 किलोमीटर क्रॉस ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण हो चुका है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में भी बड़ा बदलाव किया है. अब 51 दिनों की जगह सिर्फ 30 दिन में टेंडर की प्रक्रिया पूरी करना जरूरी है.
'सड़क निर्माण में क्वालिटी से समझौता नहीं'
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य सड़क कनेक्टिविटी के जरिए लोगों को समान आर्थिक समृद्धि का मौके देना है. सड़क निर्माण के साथ अन्य कामों में गुणवत्ता लाना सरकार की प्राथमिकता है. सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि गुणवत्ता के मामले में समझौता नहीं किया जाएगा. ठेकेदारों की ओर से किए जाने वाले काम की कड़ी निगरानी की जा रही है. क्वालिटी से समझौता करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
ये भी पढ़ें-