Himachal Pradesh Hatti Community: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के हाटी समुदाय को केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया. जिस पर बाद में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी. 


हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई. इस बीच हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली केंद्रीय हाटी समिति की शिमला इकाई का पुनर्गठन हुआ है.


शिमला में इसे लेकर एक विशेष बैठक हुई. इसमें हाटी समिति शिमला की कमान डॉ. रमेश सिंगटा को सौंपी गई है. उन्हें सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष चुना गया. इसके अलावा खजान सिंह ठाकुर को महासचिव का जिम्मा सौंपा गया है.


शिमला में नई इकाई का गठन
नई कार्यकारिणी के अध्यक्ष डॉ. रमेश सिंगटा को बनाया गया है. इसी तरह विनोद बिरसांटा उपाध्यक्ष, खजान सिंह ठाकुर को  महासचिव , आशु चौहान संयुक्त सचिव  और सुरजीत सिंह ठाकुर को कोषाध्यक्ष  की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 


इसके अलावा भीम सिंह चौहान को सह कोषाध्यक्ष , श्याम सिंह चौहान और विनोद चौहान को कानूनी सलाहकार बनाया गया है. इसके अलावा मुख्य सलाहकार दिलीप सिंह, मुख्य प्रवक्ता सुरेश सिंह और मीडिया प्रभारी अनूप शर्मा को बनाया गया है.


एसटी आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक
हाटी को हक दिलाने के लिए आंदोलन की शुरुआत साल 2022 महाखुमली के माध्यम से 1 जनवरी को रोनहाट में हुई थी. इसमें हजारों लोगों ने जनजातीय श्रेणी में शामिल होने के लिए दृढ़ संकल्प लिया था. 


इसके बाद अप्रैल में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने हाटी समुदाय को 14 जातियों और उप जातियों में पंजीकृत किया. आंदोलन की जीत का यह पहला पड़ाव था. इस जीत का दूसरा पड़ाव तब आया, जब सितंबर में केंद्र कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए हाटी को एसटी का दर्जा दे दिया. 


दिसंबर में यह बिल लोकसभा में पेश हुआ और पारित हो गया. संसद से बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर किए और यह कानून बन गया. फिलहाल मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के रोक की वजह से हाटी समुदाय का संघर्ष जारी है.


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