Himachal News: बिना अन्न खाए रहने वाले साधु-महात्माओं की कहानी तो आपने बहुत सुनी होंगी, लेकिन हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक ऐसी कद्दावर महिला नेता हैं जो अनाज खाती ही नहीं. वह ऐसा पिछले तीन-चार सालों से नहीं बल्कि करीब 50 साल से कर रही हैं. यह नेता और कोई नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति के शीर्ष नेताओं में शुमार विद्या स्टोक्स (Vidya Stokes) हैं. विद्या स्टोक्स की उम्र 95 साल है और वे लगभग 45 साल की उम्र से अनाज नहीं खाती. हिमाचल प्रदेश की राजनीति का चमकता चेहरा विद्या स्टोक्स सिर्फ और सिर्फ फल, ड्राई फ्रूट और सूप ही लेती हैं. 


सरल स्वभाव के लिए जानी जाती हैं विद्या स्टोक्स


पूर्व कैबिनेट मंत्री विद्या स्टोक्स (Former Cabinet Minister Vidya Stokes) के बारे में यह बात सुनकर पहली बार कोई भी विश्वास नहीं कर पाता. लेकिन विद्या स्टोक्स को नजदीक से जानने वाले लोग बताते हैं कि वह बीते करीब 50 साल से ऐसा ही करती आ रही हैं. हिमाचल प्रदेश की राजनीति (Himachal Pradesh Politics) में बेहद कम ऐसी महिलाएं हैं, जो सत्ता के शीर्ष तक पहुंच सकीं. विद्या स्टोक्स उन चंद महिला नेताओं में से एक हैं. साल 2003 में तो विद्या स्टोक्स हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी के भी बेहद नजदीक पहुंच गई थी. हालांकि बाद में वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) को ही मुख्यमंत्री (CM) बनाया गया. वरिष्ठ पत्रकार विकास चौहान बताते हैं कि भले ही विद्या स्टोक्स की गिनती हिमाचल प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती रही हो, लेकिन वे बेहद सरल और सहज स्वभाव की रहीं. विद्या स्टोक्स की बातों में न तो कभी सत्ता का गुरूर झलका और न ही उन्होंने कभी किसी को ऐसा महसूस होने दिया. स्टोक्स अपने करीबी लोगों को 'भाऊ' कहकर संबोधित करती हैं.


शिलारू का हॉकी मैदान विद्या स्टोक्स की देन


समुद्र तल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर शिमला के शिलारू में बना हॉकी के मैदान (Hockey Stadium) विद्या स्टोक्स की ही देन है. विद्या स्टोक्स खुद भी राष्ट्रीय स्तर की हॉकी खिलाड़ी (Hockey Player) रही हैं. वह वूमेन हॉकी फेडरेशन की आजीवन चेयरमैन भी हैं. इस हॉकी एस्ट्रोटर्फ का निर्माण साल 2010 में 3.53 करोड़ की लागत से पूरा किया गया था. आज इस मैदान में टीम इंडिया के खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए आते हैं. शिलारू में बने इस हॉकी एस्ट्रोटर्फ में किया गया अभ्यास सामान्य मैदानों के मुकाबले दोगुना माना जाता है. इस हॉकी एस्ट्रोटर्फ में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी अपना स्टेमिना बढ़ाने के लिए आते हैं. सामान्य मैदानों में 12 घंटे का प्रशिक्षण यहां के छह घंटे के बराबर होता है.


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