Shimla News: तिब्बती बौद्ध धर्म ( Tibetan Buddhism) के अनुयायियों को उनके चौथे धर्मगुरु मिल गए हैं. यह चौथे धर्मगुरु कोई और नहीं बल्कि चार साल के नवांग ताशी रापटेन (Nawang Tashi Rapten) हैं. ताशी जिला लाहौल-स्पीति के ताबो स्थित रंगरिक गांव के रहने वाले हैं. ताशी ने अब तक सिर्फ नर्सरी की पढ़ाई पूरी की है. अब वे औपचारिक रूप से शिमला के पंथाघाटी दोरजीडक मॉनेस्ट्री के धर्मगुरु बन गए हैं. ताशी की पहचान तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार के रूप में की गई है, वे अब पंथाघाटी में दोरजीडक मठ में औपचारिक रूप से धार्मिक शिक्षा ग्रहण करेंगे. मोनेस्ट्री में हुए धार्मिक अनुष्ठान के दौरान ताशी के बाल काटने के बाद उन्हें धार्मिक वस्त्र पहनाकर मठ के गुरु की सर्वोच्च उपाधि दी गई.
सात साल का इंतजार हुआ खत्म
तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी बीते सात साल से इस पल का इंतजार कर रहे थे. सोमवार को यह सात साल का इंतजार खत्म हुआ और मठ को उसके चौथे गुरु मिल गए. अपने गुरु तकलुंग चेतुल रिनपोछे का आशीर्वाद लेने अनुयायी नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग मठों से शिमला पहुंचे थे. अब मठ के गुरु बन चुके ताशी के दादा छेतन अंगचूक ने भी इस मौके पर खुशी जाहिर की है.
2015 में गुरु जी ने बताई थी पुनर्जन्म की बात
इससे पहले साल 2015 में जब तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु के तीसरे गुरु की मृत्यु हुई थी. तब उन्होंने मृत्यु से पहले बता दिया था कि वह अगला जन्म कहां लेंगे. अपने गुरु की बातों के मुताबिक अनुयायियों ने अपने नए गुरु की खोज की. इसके बाद अनुयायियों की यह खोज लाहौल-स्पीति के ताबो में खत्म हुई. बौद्ध अनुयायियों ने ताशी के परिवार से इस बारे में बात की और फिर उन्हें पंथाघाटी की दोरजीडक मॉनेस्ट्री में धर्मगुरु की उपाधि दी गई. नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल, 2018 को लाहौल स्पीति के रंगरिक गांव में हुआ था. वे अब दोरजीडक मॉनेस्ट्री में इस सर्वोच्च उपाधि को संभालेंगे.
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