Himachal News: हिमाचल की मलाणा क्रीम और 'चिट्टा' की बिक्री वाली जगह बनी नशेड़ियों का पसंदीदा ठिकाना
मलाणा क्रीम की बड़े पैमाने पर अवैध खेती के लिए जाना जाने वाला राज्य और इसका पड़ोसी राज्य पंजाब 'चिट्टा' और फार्मास्युटिकल ड्रग्स की भरमार है. हिमाचल में लगभग 60 प्रतिशत लोग 'चिट्टा' लेते हैं.
Himachal NEWS: भांग और इसके डेरिवेटिव- हशीश, चरस और बेहद लोकप्रिय मलाणा क्रीम की बड़े पैमाने पर अवैध खेती के लिए जाना जाने वाला राज्य और इसका पड़ोसी राज्य पंजाब 'चिट्टा' और फार्मास्युटिकल ड्रग्स की भरमार है.
ड्रग पेडलर्स पर ऐसे नजर रख रही है पुलिस
हिमाचल प्रदेश पुलिस के अनुसार, ड्रग पेडलर्स पर नजर रखने के लिए सभी पुलिस थानों में बनाए गए 'रजिस्टर 29 के डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि राज्य में सक्रिय लोगों में से लगभग 60 प्रतिशत 'चिट्टा' लेते हैं. इसने चरस के बावजूद राज्य में नशे के खतरे में एक नया आयाम जोड़ दिया है. आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में कुल 2,307 सक्रिय ड्रग तस्कर या पेडलर्स में से 1,836 (80 प्रतिशत) हिमाचल से हैं, 422 (18 प्रतिशत) अन्य राज्यों से हैं और 49 (2 प्रतिशत) विदेशी हैं.
कई गुणा बढ़ गई है चिट्टा की खपत
पिछले पांच वर्षो में चिट्टा की खपत कई गुना बढ़ गई है, जो पुलिस द्वारा जब्ती में भी परिलक्षित होता है. जिसने 2017 में 3.4 किलोग्राम से चार गुना बढ़कर 2021 में 14.9 किलोग्राम दर्ज किया. ये महंगी नशीली दवाएं 4,000 रुपये से 6,000 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर मिलती हैं. एक समय था, जब राज्य में नशे का कारोबार वर्षो तक कुल्लू घाटी में भांग के अवैध बागानों तक ही सीमित था. सूत्रों के मुताबिक, अभी भी मांग ज्यादा है और ड्रग कार्टेल का अवैध कारोबार अभी भी फलफूल रहा है. हिमाचल प्रदेश का प्राचीन आर्यन गांव मलाणा पूरी दुनिया में उन लोगों के लिए स्वर्ग के रूप में जाना जाता है, जो पहाड़ों में ऊंचाई की तलाश में हैं. मलाणा क्रीम तैलीय और सुगंधित होता है, जिसे हशीश का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है और यह स्थानीय लोगों द्वारा आसपास की पार्वती घाटी में अवैध रूप से उगाई जाती है. नशीले पदार्थ की अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता अभी भी हजारों पर्यटकों को इस गांव में ले आती है.
मलाणा क्रीम की मांग बढ़ने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में आया उछाल
मलाणा क्रीम की मांग बढ़ने के बाद क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में उछाल आया है. मलाणा क्रीम हिमाचल प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. क्योंकि इसकी तस्करी देशभर के अन्य राज्यों में की जाती है. अभी कुछ दिन पहले, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक मादक पदार्थ तस्कर को गिरफ्तार किया और राष्ट्रीय राजधानी के अलीपुर में उसके कब्जे से 30 किलो मलाणा क्रीम, जिसे 'हशीश' भी कहा जाता है, जब्त की, जिसकी कीमत 18 करोड़ रुपये है. आरोपी की पहचान पंजाब में लुधियाना के पास खन्ना खुर्द निवासी राजेश कुमार (30) के रूप में हुई है.
मादक पदार्थो के तस्कर की गिरफ्तारी के साथ विशेष प्रकोष्ठ ने दावा किया कि उसने दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में तस्करी करने वाले एक अंतर्राज्यीय सिंडिकेट का पता लगाया है. पुलिस ने कहा कि इस सिंडिकेट ने पिछले तीन महीनों में दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में 28 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 45 किलोग्राम से अधिक 'मलाणा क्रीम' बेची है. नशीली दवाओं के उपयोग और तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश पुलिस ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मजाकिया संदेश के साथ नशीली दवाओं के तस्करों को अवैध गतिविधियों में लिप्त होने के खिलाफ चेतावनी दी थी कि वे राज्य की 'बेहद ठंड' में जेल की कोठरियों में रात बिताने को तैयार रहें. हाल के दिनों में कुछ फार्मास्युटिकल फर्मो को भारत के फार्मास्युटिकल हब सोलन के पास हिमाचल के बद्दी में 'चिट्टा' (मिलावटी हेरोइन) सहित अवैध रूप से ओपिओइड का उत्पादन और बिक्री करते हुए पकड़ा गया था. पुलिस हर साल सैकड़ों एकड़ में अवैध रूप से उगाई गई भांग को नष्ट करने के लिए विशेष अभियान चलाती है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि लोगों की बढ़ती संख्या, खासकर युवा 'चिट्टा' के आदी हो रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा कि समृद्ध परिवारों के नशेड़ी अपनी रोजाना 'चिट्टा' खुराक का प्रबंधन करने के लिए पेडलर बन रहे हैं.
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