Himachal News: हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय असंतुलन देखने के लिए मिला है. कुल 15 में से 10 सीट पर जीत दिलाने वाले कांगड़ा जिला को सिर्फ एक मंत्री मिला है. यहां से जवाली के विधायक चौधरी चंद्र कुमार हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य बने हैं. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा है कि वह मंत्रिमंडल में जिला कांगड़ा के प्रतिनिधित्व का मामला मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने रखेंगी. 


कांगड़ा को फिलहाल अधूरा प्रतिनिधित्व 


हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहना है कि हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संतुलन बनाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट में युवा से लेकर वरिष्ठ चेहरों को शामिल किया है. हालांकि वे कांगड़ा को प्रतिनिधित्व देने का मामला मुख्यमंत्री के सामने रखेंगी. माना जाता है कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति का रास्ता कांगड़ा से होकर गुजरता है. जिला कांगड़ा में कुल 15 विधानसभा सीट हैं. इन 15 सीट में से जनता ने कांग्रेस की झोली में 10 सीट डाली है. शुरुआत में माना जा रहा था कि जिला कांगड़ा से तीन मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन पहले मंत्रिमंडल विस्तार में सिर्फ एक ही मंत्री को जगह दी गई है. 


यहां पूर्व मंत्री और धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा को फिलहाल ड्रॉप किया गया है. इसके अलावा पूर्व परिवहन मंत्री गुरमुख सिंह बाली के बेटे रघुबीर सिंह बाली नाम भी मंत्रिमंडल की दौड़ में चल रहा था, लेकिन चुनाव में उनकी पहली जीत की वजह से उन्हें मंत्रिमंडल में फिलहाल शामिल नहीं किया गया. इसके अलावा ज्वालामुखी से बीजेपी के कद्दावर नेता रविंद्र सिंह रवि को मात देने वाले संजय रतन का नाम भी मंत्रिमंडल की दौड़ में शामिल था.


बिलासपुर के कोटे से भी मंत्री होल्ड पर


कांगड़ा से कद्दावर चेहरों के जीत हासिल करने के बावजूद एक ही वरिष्ठ सदस्य को मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया गया है. इसके अलावा बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिले से कांग्रेस ने एक ही जीत सीट पर जीत हासिल की है. यहां भी राजेश धर्माणी को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है. राजेश धर्माणी वीरभद्र सरकार के दौरान चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे हैं. मौजूदा वक्त में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव भी हैं. रविवार सुबह तक उनका नाम मंत्रिमंडल की सूची में था, लेकिन अंतिम मौके पर उनका नाम सूची से हटा दिया गया.


क्षेत्रीय समीकरण साधना बेहद जरूरी


हिमाचल प्रदेश की राजनीति ऊपरी और निचले हिमाचल के आधार पर चलती आई है. प्रदेश की राजनीति को समझने वाले जानकार मानते हैं कि मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय समीकरण साधना जरूरी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मंत्रिमंडल विस्तार में फिलहाल क्षेत्रीय समीकरण संतुलन की कमी नजर आ रही है. हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि उन्होंने समीकरण साधने के लिए नहीं बल्कि काबिलियत के आधार पर मंत्रिपरिषद में मंत्रिमंडल में विधायकों को जगह दी है. हिमाचल प्रदेश की सत्ता की चाबी कांगड़ा जिला के हाथ में रहती है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि कांगड़ा जिला को पूरा प्रतिनिधित्व दिया जाए. माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार होने पर कांगड़ा जिला को पूर्ण प्रतिनिधित्व दिया जाएगा.


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