Himachal News Today: स्वस्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सिर्फ दिल मिलना ही जरूरी नहीं होता. स्वस्थ जीवन जीने के लिए बेहद जरूरी है कि दोनों पार्टनर थैलेसीमिया का टेस्ट भी करवाएं. 
 
दरअसल, थैलेसीमिया माता-पिता से बच्चों में आने वाली जेनेटिक बीमारी है. यह एक पैदाइशी रक्त विकार होता है. पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. ओमेश भारती बताते हैं कि अगर मां-बाप दोनों थैलेसीमिया कैरियर हों, तो 25 फीसदी बच्चों को थैलेसीमिया रोग होना संभावित होता है. 


100 में इतने लोग हैं थैलेसीमिया करियर
देश भर में करीब एक लाख थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को महीने में कई बार खून चढ़ाया जाता है. एक थैलेसीमिया बच्चे पर हर साल हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं. भारत में हर 100 लोगों में से तीन से चार लोग थैलेसीमिया से करियर हैं. 


हिमाचल प्रदेश में भी करीब दो लाख लोग थैलेसीमिया के करियर हो सकते हैं. छोटे बच्चों में खून की कमी, थकावट और वजन न बढ़ने जैसे लक्षणों से थैलेसीमिया का पहली बार पता चलता है.


थैलेसीमिया पर एक्सपर्ट की राय
एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत के दौरान डॉ. ओमेश भारती ने कहा कि हर व्यक्ति को थैलेसीमिया करियर होने की जांच करवानी चाहिए. स्वस्थ्य दिखने वाला कोई भी व्यक्ति थैलेसीमिया का करियर हो सकता है. 


उन्होंने सलाह दी कि जो व्यक्ति थैलेसीमिया करियर पाया जाए, उसे दूसरे थैलेसीमिया करियर से शादी नहीं करनी चाहिए. इसकी बजाय उसे किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करनी चाहिए, जो थैलेसीमिया का करियर न हो. 


डॉ. ओमेश भारती ने कहा, "थैलेसीमिया करियर मां-बाप को अपने पहले गर्भ की जांच भी जरूर करवानी चाहिए. इसके अलावा थैलेसीमिया बच्चों के रिश्तेदारों को भी अपनी थैलेसीमिया कैरियर होने की जांच करवानी चाहिए."


'स्वस्थ लोगों को करना चाहिए रक्तदान'
शादी करने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि प्रेम के बंधन में बंधने से पहले थैलेसीमिया की जांच भी करवाई जाए, क्योंकि इलाज से परहेज बेहतर होता है. माता-पिता बनने से पहले भी दंपत्ति अपने खून की जांच करवा सकते हैं. 


थैलेसीमिक बच्चों के लिए रक्त की हर बूंद में जिंदगी होती है. ऐसे में स्वस्थ लोगों को थैलेसीमिया के मरीजों के लिए रक्तदान करते रहना चाहिए. यह दोनों के लिए स्वास्थ्य जीवन के लिए आदर्श है.


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