Himachal News: हिमाचल प्रदेश बुरी तरह आर्थिक संकट से जूझ रहा है. हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में चार साल का समय लगेगा. यह बयान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिया है. उन्होंने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश की सत्ता में व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं. कई सालों से सरकार एक ही ढर्रे पर काम करती आ रही है. उन्होंने इस व्यवस्था को बदलने की कोशिश करना शुरू कर दी है. सीएम ने आगे कहा कि लोक निर्माण और जल शक्ति विभाग में टेंडर के दिन घटा दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो टेंडर पहले 60 दिन में होते थे उन्हें हमने 20 दिन का कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अब धीरे-धीरे हिमाचल प्रदेश की व्यवस्था परिवर्तन करने का काम करेंगे.


स्थाई नीति बनाने की मांग
शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात करने आशा वर्कर्स का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था. यह प्रतिनिधिमंडल प्रदेश में आशा वर्कर्स के लिए स्थाई नीति और मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर पहुंचा था. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह आशा वर्करों की इन मांग को समझने की कोशिश करेंगे. इसी दौरान मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश की खराब अर्थव्यवस्था का भी हवाला दिया.


 






कोरोना टीकाकरण में आशा वर्कर्स ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वक्त में 7 हजार 964 आशा वर्कर हैं. यह आशा वर्कर प्रदेश की विभिन्न पीएचसी में काम कर रही हैं. कोरोना काल में आशा वर्करों ने टीकाकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. देशभर में सबसे पहले टीकाकरण की प्रक्रिया पूरे करने वाले हिमाचल प्रदेश को अव्वल बनाने में आशा वर्कर का बड़ा योगदान रहा. हिमाचल प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज इलाकों में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में आशा वर्कर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन आशा वर्करों की प्रशंसा की थी. ऐसे में आशा वर्कर यह मांग कर रही हैं कि सरकार इनके लिए स्थाई नीति बनाने के साथ इनके मानदेय में बढ़ोत्तरी करे, ताकि उनके घर-परिवार की गुजर बसर हो सके.


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