बिलासपुर में रंगड़ों के काटने से 81 साल के बुजुर्ग की मौत, खेत में काम करते वक्त किया हमला
Himachal News: रंगड़ों के काटने से 81 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई. यह घटना बिलासपुर के झंडूता इलाके की है. अस्पताल में इलाज के बावजूद बुजुर्ग को नहीं बचाया जा सका.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में रंगड़ों ने एक बुजुर्ग पर हमला कर दिया. 81 साल के बुजुर्ग निक्का राम जिस वक्त खेतों में काम कर रहे थे, तभी अचानक रंगड़ों ने हमला हमला किया. इसके बाद बुजुर्ग को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया.
स्थानीय अस्पताल से उन्हें हमीरपुर अस्पताल रेफर किया गया. 81 साल के बुजुर्ग को बचा नहीं जा सका और उनकी मौत हो गई. मामले की पुष्टि डीएसपी चंद्र पाल सिंह ने की है. रंगड़ों के हमले की यह घटना हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के झंडुता उपमंडल की है. यहां झंडुता के नघ्यार गांव में रंगड़ों ने बुजुर्ग पर हमला कर दिया था.
मधुमक्खी की ही प्रजाति है रंगड़
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. उशेन्द्र शर्मा ने बताते हैं कि रंगड़ काफी खतरनाक होते हैं. इनके काटने से मौत भी हो सकती है. यह मधुमक्खी की ही एक प्रजाति होती है.
भारत में इसे ततैया, बरैया और गंधेली के नामों से भी जाना जाता है. एक रंगड़ का काटना तो ज्यादा खतरनाक नहीं होता, लेकिन अगर रंगड़ बड़ी संख्या में एक दल बनाकर अटैक कर दे तो इसे मौत भी हो सकती है. रंगड़ के काटने का सीधा असर किडनी पर हो भी होता है. रंगड़ अमूमन दल में ही चलते हैं और मुंह के साथ गले पर अटैक करते हैं, क्योंकि शरीर का यही हिस्सा आमतौर पर कपड़ों से नहीं ढका होता है.
रंगड के डंक में होता है जहर
रंगड़ का गले और मुंह के आसपास काटना खतरनाक साबित हो सकता है. रंगड के डंक में एक प्रकार का जहर होता है. इसके काटने से शरीर में भी जहर बनने लगता है, जो किडनी पर असर डालता है. इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. अगर रंगड़ों के हमले में घायल व्यक्ति को वक्त रहते जरूरी इंजेक्शन दे दिया जाए, तो जान बचाई जा सकती है. रंगड़ों के काटने पर तुरंत पल्स रेट चेक करना चाहिए. घायल व्यक्ति को ग्लूकोस भी दिया जा सकता है. हमले में घायल हुए व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंच कर ही उसकी जान बचाई जा सकती है.
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