Himachal Political Crisis: न CM पद पर खतरा और न सरकार पर, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यूं पलट दी बाजी!
Himachal Pradesh News: 17 फरवरी को पेश किए गए बजट को 28 फरवरी को विधानसभा से पास करवाना था. इसके लिए कांग्रेस की ओर से व्हिप भी जारी की गई, लेकिन बजट के दौरान कांग्रेस के 6 बागी विधायक नहीं पहुंचे.
Himachal Pradesh Politics: हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. और इसकी वजह से कांग्रेस के दिग्गज नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए. अब जब 6 विधायक बागी हुए तो बीजेपी को हिमाचल में सरकार बनाने की उम्मीद दिखने लगी. रही सही कसर सुक्खू सरकार में मंत्री रहे विक्रमादित्य सिंह ने पूरी कर दी, जिन्होंने सुक्खू सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद तो लगभग तय हो गया कि सरकार गिर जाएगी और सरकार नहीं भी गिरेगी तो कम से कम सुखविंदर सिंह सुक्खू को तो इस्तीफा देना ही पड़ेगा. लेकिन फिर सुक्खू को याद आया बीजेपी का आजमाया हुआ फॉर्मूला और उन्होंने यही इस्तेमाल किया बीजेपी के ही विधायकों पर, इसमें मदद की हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने.
बजट के दौरान किया हंगामा
दरअसल हुआ ये कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने 17 फरवरी को जो बजट पेश किया था, उसे 28 फरवरी को विधानसभा से पास करवाना था. इसके लिए कांग्रेस की ओर से व्हिप भी जारी किया गया था. लेकिन बजट के दौरान भी कांग्रेस के 6 बागी विधायक नहीं पहुंचे. इससे बीजेपी की उम्मीदों को और बल मिल गया. बाकी तो 27 फरवरी को हुई राज्यसभा की वोटिंग के बाद बीजेपी ख्वाब पाले ही थी कि वो सरकार गिरा देगी. तो बीजेपी विधायकों ने 28 फरवरी को बजट पास करवाने के दौरान थोड़ा हंगामा कर दिया.
15 विधायकों को किया सस्पेंड
फिर एंट्री हुई विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की. उन्होंने लंच से पहले ही बीजेपी के 15 विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया. ठीक वैसे ही जैसे लोकसभा में हंगामे के दौरान ओम बिड़ला ने और राज्यसभा में हंगामे के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया था. तो विपक्ष के 15 विधायक कम हो गए. बचे-खुचे बीजेपी विधायकों ने सदन का ही बॉयकॉट कर दिया और फिर सुक्खू सरकार ने ध्वनिमत से अपना बजट पास करवा दिया.
सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई. बजट पास होने के साथ ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. यानी कि अब विधानसभा का अगला सत्र तो कुछ महीनों के बाद ही होगा. और जब तक सत्र नहीं होता है, कम से कम सरकार पर तो कोई खतरा नहीं है. क्योंकि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ सदन में ही लाया जा सकता है और सदन तो अब स्थगित है. तो फिर सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है. रही बात सुक्खू की, तो वो भी अभी तक सुरक्षित ही हैं. कह ही रहे हैं कि उन्होंने न तो इस्तीफा दिया है और न ही वो इस्तीफा देने वाले हैं.
अयोग्य ठहराने को लेकर दी अर्जी
हां अब खतरा कांग्रेस के उन 6 विधायकों को है, जिन्होंने पहले तो राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग की और फिर बजट पास करवाने के दौरान भी व्हिप का उल्लंघन कर सदन में नहीं पहुंचे. तो अब कांग्रेस विधायक और हिमाचल प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इन सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को अर्जी दे दी है. और विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया हैं तो कांग्रेस के ही विधायक. तो फिर अगर आला कमान चाहेगा तो उन्हें फैसला करने में भी देर नहीं होगी. और ये सभी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाएंगे. रही बात विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे की, तो खुद मुख्यमंत्री सुक्खू कह रहे हैं कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होगा.
अगर कांग्रेस टूटती है तो...
हालांकि जिस तरह की चर्चाएं हैं, वो तो ये कह रहीं है कि विक्रमादित्य सिंह बीजेपी में जा रहे हैं. और अगर वो बीजेपी में जा रहे होंगे, तब तो सुक्खू बिल्कुल ही सुरक्षित हो जाएंगे, क्योंकि सुक्खू के खिलाफ सबसे मुखर विक्रमादित्य सिंह ही हैं और उनकी बात का वजन इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि वो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और अभी कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं. तो उनके बीजेपी में जाने का मतलब कांग्रेस का टूटना है. और अगर कांग्रेस टूटती है तो फिर कुछ महीनों के लिए ही सही, सुक्खू की कुर्सी सुरक्षित है.
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