Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट और गहराता नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में मंत्री और वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh Resigns) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विक्रमादित्य सिंह काफी भावुक हो गए और कहा कि हमने हमेशा पार्टी का साथ दिया है लेकिन मौजूदा समय में मेरा इस सरकार में बने रहना ठीक नहीं है. मैं मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहा हूं. विक्रमादित्य सिंह ने ये भी कहा कि वो आगे की रणनीति बनाएंगे. अगला कदम क्या होगा, ये वक्त पर निर्भर करता है.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वो अगले कुछ दिनों में अपनी रणनीति के बारे में बताएंगे. उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार की नीतियों को लेकर भी हमला बोला. विक्रमादित्य सिंह ने कहा- "विधायकों की अनदेखी की गई है, उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई, जिसकी वजह से आज हम इस कगार पर खड़े हैं. इन विषयों को पार्टी आलाकमान के सामने भी उठाया गया है, लेकिन उसका जिस तरह से सरोकार लिया जाना चाहिए था, वो नहीं लिया गया."
विक्रमादित्य सिंह का सुक्खू सरकार पर गंभीर आरोप
विक्रमादित्य सिंह ने ये भी कहा कि जनता की भलाई के लिए कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं. वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा गया. युवा और नौजवान साथियों की वजह से कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन उनके वादों नहीं निभाया गया. भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि उनके लिए सुक्खू सरकार में रहना ठीक नहीं था और उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने का फैसला किया. विक्रमादित्य सिंह प्रदेश की सुक्खू सरकार में लोक निर्माण मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं और मौजूदा वक्त में शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. बतां दें कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए बीजेपी के पक्ष में मतदान किया, जिसके बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है.
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