Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाले सरकार को आज दो साल पूरे हो गए हैं. 11 दिसंबर, 2022 के दिन ही सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे. उनके साथ मुकेश अग्निहोत्री ने उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थी.


मौजूदा वक्त में पांच गारंटियों को पूरा करने के दावे किए जा रहे हैं. इससे इतर बीजेपी का कहना है कि हर गारंटी को सशर्त पूरा किया गया है, जबकि घोषणा पत्र में इस तरह की कोई बात नहीं थी. बात अगर कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र की करें, तो 10 गारंटियों में सबसे पहले गारंटी ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की थी.


कैबिनेट की पहली मीटिंग में OPS बहाली
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व समेत प्रदेश नेतृत्व ने यह दावा किया था कि पहले मंत्रिमंडल की बैठक में ही ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली कर दी जाएगी. हालांकि पहली कैबिनेट के लिए कर्मचारियों को लंबा इंतजार करना पड़ा. 13 जनवरी, 2023 को मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई और इसी बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली कर दी गई. इसके बाद राज्य सरकार को आर्थिक तंगी तो झेलनी पड़ी, लेकिन यह एक ऐसा कदम था जिसने कर्मचारियों का दिल जीत लिया. ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली का फायदा राज्य के करीब 1.36 लाख कर्मचारियों को मिला.


सुख आश्रय योजना ने देश में बटोरी तारीफ
इसी तरह 11 दिसंबर को शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सचिवालय से पहले बालिका आश्रम पहुंचे. यहां उन्होंने निराश्रित बच्चों से मुलाकात की. इसके बाद 1 जनवरी 2023 को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुख आश्रय कोष को स्थापित करने की घोषणा की और सुख आश्रय योजना के तहत राज्य के ऐसे छह बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ स्टेट घोषित किया, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है. इन बच्चों को पॉकेट मनी के साथ अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं. राज्य सरकार की इस योजना में ने भी देशभर में सुर्खियां बटोरने का काम किया. 


इन गारंटियों को लागू न कर पाने पर झेली 'आलोचना'
सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने 18 से 59 साल की महिलाओं को हर महीने 1 हजार 500 सम्मान निधि के तौर पर देने की बात कही थी. आंशिक तौर पर इस योजना की शुरुआत की जा चुकी है. हालांकि सत्ता में आने से पहले बिना शर्त 1 हजार 500 देने की बात की गई थी, लेकिन अब इसमें कई तरह के नियम तय किए गए हैं. इन्हीं नियमों की वजह से महिलाओं को एक बड़ा वर्ग सम्मान निधि से वंचित है. इसी गारंटी को लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर भी है. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी गोबर खरीद की गारंटी को लेकर भी आए दिन सरकार को घेरने में जुटी रहती है. संभवत: आज दोपहर बाद बिलासपुर में मुख्यमंत्री इससे जुड़ी कोई घोषणा कर सकते हैं.


आपदा कोष में दे दी बैंक में पड़ी सारी पूंजी
साल 2023 में जुलाई और अगस्त के महीने में हिमाचल प्रदेश में भीषण आपदा आई. इस दौरान राज्य सरकार को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा. इसके बाद राज्य में हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री आपदा कोष की स्थापना की गई. इस कोष में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक नाम पर चढ़कर योगदान किया. 15 सितंबर 2023 को अपने सभी बैंक खातों में जमा कुल पूंजी में से 51 लाख न्यूज निकाले और आपदा कोष में दे दिए. तब उनके बैंक खाते में महज 17 हजार न्यूज ही बचे थे. मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद उन्होंने देशभर में सुर्खियां बटोरी और प्रशंसा भी हासिल की. 


अपने विधायकों ने छोड़ दिया साथ
हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का यह दो साल का कार्यकाल चुनौतियों से भी भर रहा है. सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बनने से पहले कभी कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहे थे. ऐसे में उन्हें सत्ता हासिल करने के बाद कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. अपने विधायकों की नाराजगी राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पर भारी पड़ी और कांग्रेस के बहुमत के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को हरा दिया. कांग्रेस के छह विधायक बाद में उनके साथ छोड़ बीजेपी में चल गए. इसी तरह तीन निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस से बाहरी समर्थन वापस ले लिया. राज्य में उप चुनाव हुए, तो कुल नौ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में से छह पर दोबारा कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली. इस तरह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सत्ता में बने रहे और उन्होंने खुद को साबित भी किया.


लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका!
हालांकि चार सीटों पर लोकसभा चुनाव में कुल 68 विधानसभा क्षेत्र में से 61 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में भी बीजेपी को ही लीड मिली. चारों लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल कर ली. इसी तरह आर्थिक तंगी, टॉयलेट टैक्स, समोसा जांच प्रकरण, एचआरटीसी लगेज पॉलिसी और राहुल गांधी ऑडियो मामले में ड्राइवर-कंडक्टर को नोटिस जैसी घटनाओं ने सरकार की खूब किरकिरी भी की. सितंबर महीने में वेतन और पेंशन भुगतान में देरी की वजह से भी सरकार बैकफुट पर गई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का दो साल का कार्यकाल उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. आने वाले वक्त में भी कई बड़ी चुनौतियां सरकार का इंतजार कर रही हैं. देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं.


ये भी पढ़ें: सुक्खू सरकार को बैकफुट पर लाएगी बीजेपी? 18 दिसंबर को विधानसभा घेराव की तैयारी