Himachal Pradesh Apple: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) एक सेब बहुल और बागवानी राज्य है. यहां हर साल सेब का हजार करोड़ से अधिक का कारोबार होता है. पहाड़ में विषम परिस्थितियों वाले रास्ते पर सेब को मंडी तक पहुंचाना भी एक चुनौती भरा काम है, लेकिन अब ड्रोन के जरिए यह काम आसान हो सकता है. सोमवार को किन्नौर (Kinnaur) में ड्रोन के जरिए सेब पहुंचाने के सफल ट्रायल की खबर जैसे ही सामने आई, तो बागवानों के साथ पूरे प्रदेश में मानो खुशी की लहर उठ गई.

 

किन्नौर के निचार में विग्रो कंपनी ने तीन दिन तक किए सफल ट्रायल में 5 घंटे का रास्ता 6 मिनट में तय कर कमाल कर दिखाया है. अब सेब को मंडियों तक पहुंचाने का भविष्य ड्रोन के रास्ते देखा जा रहा है. हालांकि, यह अभी तक सिर्फ एक ट्रायल है और यह जमीन पर कितना खरा उतर पाएगा, इस पर फिलहाल संशय है.

 

दुर्गम रास्तों से सेब पहुंचाना आसान नहीं

सेब की बागवानी करना अपने आप में ही बेहद मुश्किल काम है. साल भर की मेहनत के बाद बगीचे से मंडी तक से पहुंचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. पहाड़ के सर्पीले रास्तों में कभी खराब सड़क, तो कभी लैंडस्लाइड बागवानों की परेशानी बढ़ाती रहती है. ऐसे में अगर ड्रोन के जरिए बगीचे से सेब पहुंचाया जा सके, तो इससे बागवानों की परेशानी कम होगी. साथ ही ट्रांसपोर्टेशन पर आने वाली लागत से भी बागवानों को छुटकारा मिलेगा और मुनाफे में इजाफा हो सकेगा.

 


 

पीएम मोदी ने भी कही थी ड्रोन से आलू के ढुलाई की बात

5 अक्टूबर को बिलासपुर में एम्स के उद्घाटन के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रोन के फायदे गिनाए थे. इस दौरान उन्होंने ड्रोन नीति में किए गए बदलाव और हिमाचल प्रदेश की नई ड्रोन नीति की तारीफ करते हुए कहा था कि इसके जरिए हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में ट्रांसपोर्टेशन में क्रांति आ सकती है. उन्होंने किन्नौर के सेब को ड्रोन के जरिए ले जाने की बात भी कही थी. इस पर कांग्रेस ने जमकर चुटकी ली थी और पीएम मोदी की बात को जुमला करार दिया था. अब ड्रोन के इस सफल ट्रायल के बाद बीजेपी भी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है.

 

शाहपुर में हिमाचल का पहला ड्रोन स्कूल

भविष्य में ड्रोन की संभावनाओं को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने 13 मार्च, 2022 को ही शाहपुर आईटीआई में ड्रोन स्कूल की शुरुआत की है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कृषि के क्षेत्र में ड्रोन की भूमिका को बढ़ाने के लिए यहां युवाओं को ड्रोन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रदेश में प्राथमिक स्तर पर चार नए ड्रोन स्कूल खोलने की भी तैयारी की जा रही है. यदि सब योजना के मुताबिक हुआ तो हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे.