Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश में बीते 37 सालों में नहीं रिपीट हुई किसी पार्टी की सरकार, जानें क्या रहा है अब तक का इतिहास
केंद्रीय चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का एलान कर दिया है. हिमाचल में 12 नवंबर को चुनाव होंगे. हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से कभी भी एक पार्टी की सत्ता नहीं रही है.
Himachal Pradesh Election 2022 Date: भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी. 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होगा और 8 दिसंबर को चुनाव के परिणाम आएंगे. चुनाव के एलान के बाद कांग्रेस सत्ता में वापसी करने के लिए प्रदेश के कई बड़े पदाधिकारियों को बदल दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी ने चुनाव तारीखों का एलान होने के बाद जीत का दावा कर रही है. इस बीच सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी हुई है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद जनता ने किसी भी पार्टी को दोबारा सत्ता में नहीं आने दिया है.
दरअसल, साल 1985 के बाद से हिमाचल प्रदेश में आठ बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, लेकिन एक बार भी किसी पार्टी ने दोबारा सत्ता में नहीं आ पाई है. हर बार यहां विधानसभा चुनाव में सरकार बदली है.
साल 2017 के पहले प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. साल 2017 में जनता ने बीजेपी को आशीर्वाद दिया और बीजेपी सत्ता में आ गई. साल 2017 में बीजेपी ने वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह सुजानपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी से दो हजार मतों से हार गए थे. जिसके बाद बीजेपी हाई कमान ने जयराम ठाकुर को सीएम बनाया.
आइए हम आपको बताते हैं कि साल 1985 के बाद का इतिहास क्या रहा है-
1985 में बनी थी कांग्रेस की सरकार
हिमाचल प्रदेश में 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. 68 विधानसभा वाले प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था, जबकि बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी को इस चुनाव में मात्र सात सीटें मिली थीं. कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह सीएम बनाया था.
साल 1990 में बीजेपी आई सत्ता में
साल 1985 के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद बीजेपी ने कई मेहनत करके फिर से सत्ता पर काबिज हो गई और कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया. इस बार बीजेपी ने 68 सीटों में से 46 सीट हासिल की थी और कांग्रेस को मात्र 9 सीटों से संतुष्ट करना पड़ा था.
साल 1993 में कांग्रेस की हुई जीत
साल 1993 में कांग्रेस ने फिर सत्ता में वापसी की और बीजेपी सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस दौरान कांग्रेस को 52 सीटों पर कामयाबी मिली थी. इस चुनाव के बाद कांग्रेस की तरफ से तीसरी बार वीरभद्र सिंह को सीएम बनाया गया था.
साल 1998 में बीजेपी
साल 1998 का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प था. इस चुनाव में बीजेपी और उसकी चीर प्रतिद्वंदी कांग्रेस को 31-31 सीटे मिली थी. दोनों पार्टियां सत्ता में वापसी करने के लिए साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपनाने लगे. इस चुनाव में हिमाचल विकास कांग्रेस किंग मेकर के भुमिका में उभरी और उसके पांच विधायकों ने बीजेपी को समर्थन कर दिया. इसके अलावा बीजेपी को निर्दलीय विधायक रमेश धवाला का भी समर्थन मिल गया. जिसके बाद बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी कर ली. इस सरकार में प्रेम कुमार धूमल को सीएम बनाया गया.
साल 2003 में कांग्रेस
साल 1998 में सत्ता में नहीं आई लेकिन कांग्रेस ने 2003 में कोई गलती नहीं दोहराते हुए सत्ता में वापसी कर ली. इस बार भी कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को सीएम बनाया. इस चुनाव में 43 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
साल 2007 में फिर बीजेपी
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रति विरोध करने लगे. इसके बाद बीजेपी ने लोगों के नब्ज को पकड़ा और फिर से सत्ता में वापसी हो गई. इस चुनाव में बीजेपी को 41 सीट हासिल हुई थी. बीजेपी ने इस बार भी प्रेम कुमार धूमल को सीएम बनाया.
साल 2012 में बनी कांग्रेस की सरकार
साल 2012 में जनता को अपनी योजनाओं और अन्य घोषणा करके कांग्रेस ने फिर सरकार बनाया. इस चुनाव में कांग्रेस को 36 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को 26 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस ने एक बार फिर वीरभद्र सिंह को हिमाचल का सीएम बनाया.
2012 के चुनाव के बाद बीजेपी की फिर से सरकार बनी और बीजेपी ने जयराम ठाकुर को सीएम बनाया. मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो इस बार कांग्रेस और बीजेपी के अलावा तीसरा मोर्चा आम आदमी पार्टी का बन रहा है. इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं.