Congress-BJP Rebel Leaders: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Election) में टिकट न मिलने की वजह से बागी हुए नेता दोनों ही कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) की चिंताएं बढ़ा रहे हैं. प्रदेश में बीजेपी के सबसे ज्यादा 21, जबकि कांग्रेस के छह बागी उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से कई बागियों को कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी ने चुनावी गणित बिगड़ने की वजह से पार्टी से बाहर की राह दिखा दी है.
देश में अनुशासन के लिए पहचान रखने वाली बीजेपी भी हिमाचल प्रदेश में अपने नेताओं को दायरे में नहीं रख सकी. बीजेपी ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से किन्नौर के तेजवंत नेगी, आनी के किशोरी लाल, इंदौरा के मनोहर धीमान, नालागढ़ के ठाकुर और कुल्लू से राम सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोन पर बात करने के बावजूद चुनावी मैदान में डटे कृपाल परमार को भी बीजेपी ने पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया है. इसके अलावा पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रामपुर से प्रेम सिंह और आनी से अनु ठाकुर को भी बीजेपी ने निष्कासित किया है.
बागियों से कांग्रेस ने भी बनाई दूरी
चुनाव में बागी राजनीतिक दलों का खेल बनाने और बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हिमाचल कांग्रेस के भी कई कद्दावर नेता टिकट न मिलने की वजह से नाराज होकर पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. हिमाचल कांग्रेस ने पच्छाद से गंगू राम मुसाफिर, सुलह से जग जीवन पाल, चौपाल से सुभाष मंगलेट, ठियोग से विजयपाल खाची, आनी से परसराम और जयसिंहपुर से सुशील कौल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है.
मान-मनौव्वल की कोशिश भी गई बेकार
कांग्रेस-बीजेपी ने बागियों को मनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन कई बागी किसी भी सूरत में मानने के लिए तैयार नहीं हुए. बीजेपी में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने प्रत्याशियों से बात की, लेकिन बावजूद इसके बागी चुनावी रण में डटे रहे. कांग्रेस में भी हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला समेत कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने प्रत्याशियों को मनाने में जान झोंक दी, लेकिन वे भी नाकाम रहे. अब कई सीटों पर बागी कांग्रेस-बीजेपी की सियासत बिगाड़ रहे हैं.