Himachal Pradesh OPS: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन स्कीम बहाली का मुद्दा छाया रहा. कांग्रेस ने खुले मंच से सत्ता में आने के बाद पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की बात कही. हालांकि बीजेपी इसे लेकर स्पष्टता नहीं दे सकी. विधानसभा चुनाव में वोटिंग के बाद भी पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा लगातार चर्चाओं में है. नालागढ़ से बीजेपी के बाद के.एल. ठाकुर के बाद अब चौपाल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के बागी सुभाष मंगलेट ने भी पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली करने वाली पार्टी को समर्थन देने का एलान किया है. सुभाष मंगलेट ने कहा कि अगर वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीतकर विधानसभा आते हैं, तो OPS बहाल करने वाली पार्टी का समर्थन करेंगे.
टिकट न मिलने के बाद बागी हुए हैं मंगलेट
चौपाल विधानसभा क्षेत्र से आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले सुभाष मंगलेट कांग्रेस पार्टी से टिकट न मिलने की वजह से नाराज चल रहे थे. सुभाष मंगलेट की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी के खास लोगों की सूची में होती रही है. बावजूद इसके सुभाष मंगलेट टिकट नहीं मिली. इस विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने संगठन महासचिव रजनीश किमटा को मैदान में उतारा.
मंगलेट ने लगते थे गलत सर्वे और टिकट बेचने के आरोप
चौपाल विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने के बाद सुभाष मंगलेट ने खुले मंच से हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला पर टिकट बेचने के आरोप लगाए थे. इसके अलावा उन्होंने आलाकमान के सामने गलत सर्वे पेश करने की भी बात कही. दरअसल, चौपाल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी और संगठन महासचिव रजनीश किमटा को राजीव शुक्ला का सबसे करीबी माना जाता है. हालांकि मंगलेट के आरोपों पर राजीव शुक्ला ने यह स्पष्ट किया था कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और टिकट न मिलने के बाद हर टिकटार्थी इसी तरह के आरोप लगाता है.
क्या OPS का साथ देना कांग्रेस का साथ?
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा हो चुका है. अब सभी को नतीजों का इंतजार है, लेकिन इस बीच जो बागी नेता जीत की स्थिति में OPS देने वाली पार्टी के समर्थन की बात कर रहे हैं. उससे जानकार यह सहज अंदाजा लगा रहे हैं कि यह बागी कांग्रेस पार्टी के साथ जा सकते हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी पहली ही गारंटी में OPS बहाली की बात कही है. बीजेपी लगातार कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाती रही कि कर्मचारियों के हित की बात केवल बीजेपी ही सोच रही है. साथ ही कांग्रेस पर कर्मचारियों को बरगलाने के आरोप भी लगाए जाते रहे. फिलहाल नेताओं के साथ जनता और सरकारी कर्मचारियों को 8 दिसंबर का इंतजार है. क्योंकि 8 दिसंबर को ही पता चलेगा कि OPS का मुद्दा हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कितना हावी रहा.