Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने जब अपने प्रत्याशियों की घोषणा की तो कई ऐसे नेता थे, जिनकी सीट को बदल दिया गया. खासकर बीजेपी ने बड़े नेताओं की सीट को भी बदलने में हिचक नहीं दिखाई. वहीं कांग्रेस इस मामले में पीछे रही. कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता अपनी सेफ सीट को छोड़कर दूसरे पार्टियों के गढ़ में चुनौती देने के लिए नहीं उतरा.
हिमाचल प्रदेश में वैसे तो कांग्रेस के कई नेता खुद को पार्टी में सीएम फेस बताते हैं. उनमें से कोई भी इस चुनाव में फ्रंट से मुकाबला करते नहीं दिख रहे हैं. कोई भी नेता बीजेपी के सीएम फेस जयराम ठाकुर या मंत्रियों को उनके विधानसभा क्षेत्र में जाकर चुनौती देने का साहस नहीं दिखा पाया. कांग्रेस नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री, ठाकुर कौल सिंह, आशा कुमारी, ठाकुर रामलाल खुद को सीएम पद का दावेदार बताने का कोई मौका नहीं छोड़ते, लेकिन ज्यादातर नेता अपने ही क्षेत्र में बुरी तरह फंसे हैं. इनमें से कुछ नेता तो अपनी ही पार्टी के दूसरे प्रत्याशियों के प्रचार तक के लिए नहीं निकल रहे हैं.
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बीजेपी ने बदला इन मंत्रियों का चुनावी क्षेत्र
कुछ हद तक यही हाल बीजेपी का भी है. सीएम जयराम ठाकुर से लेकर बिक्रम सिंह ठाकुर, वीरेंद्र कंवर, डॉ. राजीव बिंदल तक में से कोई भी नेता अपनी सेफ सीट को छोड़कर दूसरे क्षेत्र से उतरने का साहस नहीं दिखा पाए. हालांकि, बीजेपी ने दो मंत्रियों सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया के विधानसभा क्षेत्र को बदल दिया. यही नहीं बीजेपी के ही पूर्व मंत्रियों रविंद्र रवि और रमेश चंद धवाला का क्षेत्र भी पार्टी आलाकमान ने बदला है.
इसके पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को उनकी परंपरागत सीट, हमीरपुर की जगह सुजानपुर से मैदान में उतारा.
चुनाव हार गए थे प्रेम कुमार धूमल
साथ ही पार्टी ने प्रेम कुमार धूमल को उस चुनाव में अपना सीएम चेहरा भी घोषित किया. इसके बावजूद वह सुजानपुर सीट से चुनाव जीत नहीं पाए. 2017 की उस हार ने प्रेम कुमार धूमल के सियासी करियर का एक तरह से अंत कर दिया. ऐसे में नेताओं के मन में ये बात भी कहीं न कहीं रही होगी. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में अपनी सीट बदलकर चुनाव लड़ने का साहस केवल पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ही दिखाते रहे. उन्होंने अलग-अलग समय पर रोहड़ू, रामपुर, जुब्बल-कोटखाई, शिमला ग्रामीण और अर्की से चुनाव लड़े. वीरभद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव भी मंडी संसदीय सीट से लड़ा था.