Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव है और यह पहली बार है जब आजाद भारत के पहले मतदाता मास्टर श्याम शरण नेगी के बिना विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 5 नवंबर को ही मास्टर श्याम सरण नेगी ने किन्नौर स्थित अपने पैतृक घर में आखिरी सांस ली. इससे पहले उन्होंने 2 नवंबर को बैलट पेपर के जरिए 34वीं बार मतदान कर रिकॉर्ड स्थापित किया था. मास्टर श्याम सरण नेगी ने साल 1951 से साल 2022 तक हुए सभी लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव में वोट डाले और उन्होंने कभी भी मतदान का अधिकार नहीं छोड़ा.
मास्टर श्याम सरण नेगी को सच्ची श्रद्धांजलि होगा मतदान
हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए भारत के चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सभी लोगों से बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लेने की अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने घर से बाहर निकल कर मतदान कर देश के आजाद भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी को वोट के जरिए श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी संदेश दिया है. राजीव कुमार ने पांच साल में एक बार आने वाले लोकतंत्र के उत्सव में बढ़-चढ़कर भाग लेकर देश को मजबूती देने के लिए मतदान करने की अपील की है. इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त प्रदेश के शहरी इलाकों में कम मतदान प्रतिशतता को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं.
श्याम सरण नेगी कैसे बने आजाद भारत के पहले मतदाता ?
आजादी के बाद देश भर में साल 1952 में चुनाव हुए, लेकिन खराब मौसम की आशंका के चलते हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाकों में 25 अक्टूबर 1951 को ही चुनाव करवा लिए गए. 31 वर्षीय मास्टर श्याम सरन नेगी पेशे से अध्यापक थे. चुनाव के दौरान उनकी ड्यूटी शौंगठोंग में लगी थी, जबकि उनकी वोट कल्पा में थी. 25 अक्टूबर के दिन चुनावी ड्यूटी पर जाने से पहले उन्होंने कल्पा के प्रीसाइडिंग ऑफिसर से वोट डालने का आह्वान किया. प्रीसाइडिंग ऑफिसर ने उन्हें ड्यूटी पर जाने से पहले वोट डालने की अनुमति दे दी. वोट डालते ही मास्टर नेगी ने इतिहास रच दिया और वह आजाद भारत के पहले मतदाता बन गए. मास्टर नेगी के जल्दबाजी में डाले गए वोट के समय शायद वह जानते नहीं थे कि वह इतिहास रच रहे हैं, लेकिन मास्टर नेगी हमेशा ही वोट डालने के लिए इतने उत्साहित रहते थे कि वे अपने जीवन में किसी भी चुनाव के दौरान वोटिंग करना नहीं भूले.