Himachal Pradesh Election 2022: अब इसे अंधविश्वास कहें, भ्रम कहें या लोगों के फैलाई बातें लेकिन नजर तो यही आता है कि हिमाचल प्रदेश सचिवालय के कमरा नंबर 202 में बैठने वाले मंत्री को हार का मुंह देखना पड़ता है. हालिया इतिहास तो इस बात की तस्दीक करता नजर आता है. हिमाचल प्रदेश में हर 5 साल बाद रिवाज बदलने की बातें तो आपने सुनी होंगी, लेकिन हम आपको बताएंगे उस कमरा नंबर 202 में जहां बैठने वाले कैबिनेट मंत्री वापस जीतकर नहीं आ पाते.


नड्डा को देखना पड़ा हार का मुंह


शुरुआत करते हैं मौजूदा वक्त में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के से. जगत प्रकाश नड्डा साल 1998 में धूमल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने. नड्डा को जीत के बाद कमरा नंबर 202 में ही बैठने का मौका मिला, लेकिन साल 2003 में जगत प्रकाश नड्डा तिलक राज शर्मा से चुनाव हार गए. हालांकि इसके बाद साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में नड्डा ने एक बार फिर जीत हासिल कर कैबिनेट मंत्री का रैंक हासिल किया. इस बार धूमल सरकार में वन मंत्री रहते जगत प्रकाश नड्डा ने प्रदेश की राजनीति को अलविदा कह दिया और केंद्र की राजनीति में चले गए. आज जगत प्रकाश नड्डा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.


आशा कुमारी को भी नहीं रास आया यह कमरा


जगत प्रकाश नड्डा के बाद बारी आई कांग्रेस की कद्दावर महिला नेता आशा कुमारी की. साल 2003 में आशा कुमारी कैबिनेट मंत्री बनने के बाद इसी कमरे में जाकर बैठी. पहले तो साल 2005 में एक जमीन से जुड़े मामले में आशा कुमारी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा और इसके बाद साल 2007 में वे भाजपा नेता रेनु चड्डा से चुनाव हार गईं.


बागवान नेता नरेंद्र बरागटा को भी चखना पड़ा हार का स्वाद


साल 2007 में एक बार फिर प्रदेश में प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी. यह पहली बार था जब भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में काबिज हुई थी. इस बार धूमल मंत्रिमंडल में कमरा नंबर 202 आया बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के हिस्से में. नरेंद्र बरागटा जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनकर आए. प्रदेश भर उनकी पहचान बागवान नेता के रूप में रही. कमरा नंबर 202 के फेर में बरागटा भी ऐसे फंसे कि 2012 के चुनाव में उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के पोते रोहित ठाकुर के सामने हार का स्वाद चखना पड़ा.


'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा से भी कमरा नंबर 202 ने छीनी मुस्कान


साल 2017 में कमरा नंबर 202 के लपेटे में आए 'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा. हर स्थिति में मुस्कुराते रहने वाले सुधीर शर्मा साल 2017 में वीरभद्र सिंह सरकार में शहरी विकास मंत्री बने. कैबिनेट मंत्री रहते हुए अपने इलाके के साथ प्रदेश भर का में विकास कार्य को गति देने का काम किया. बावजूद इसके सुधीर शर्मा भी साल 2017 में धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए. कमरा नंबर 202 ने स्माइलिंग लीडर सुधीर शर्मा की मुस्कान पर भी कुछ वक्त के लिए ग्रहण लगा दिया. हालांकि यह बात भी सही है कि सुधीर शर्मा आज भी मुस्कुराते चेहरे के साथ ही सभी से मिलते हैं.


2022 में रामलाल मारकंडा की परीक्षा!


बीते करीब 20 सालों से अपने मालिकों को हराता आया कमरा नंबर 202 इस बार रामलाल मारकंडा की परीक्षा ले रहा है. साल 2017 में जयराम ठाकुर की सरकार में डॉ.राम लाल मारकंडा को जनजातीय विकास मंत्री बनाया गया. कमरा जैसे ही डॉ. मारकंडा को आवंटित हुआ, शुभचिंतकों ने बताया, मंत्री जी! कमरा कुछ ठीक नहीं है. मारकंडा ने अंधविश्वास न करने की बात कही, लेकिन इसके बाद रामलाल मारकंडा ने कमरे में प्रवेश के साथ ही पूजा भी करवाई. पांच साल में कई बार मारकंडा की कुर्सी पर भी खतरा मंडराया, लेकिन वे इसे पार पा गया. अब देखना होगा कि रामलाल मारकंडा की पूजा उनके कितने काम आती है. 8 दिसंबर के दिन यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कमरा नंबर 202 का रिवाज बदलेगा या नहीं.


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