Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल चुनाव में बड़ा मुद्दा है पुरानी पेंशन, नई योजना में 7500 करोड़ सालाना खर्च कर रही सरकार
हिमाचल प्रदेश चुनाव में पुरानी पेंशन अहम मुद्दा बनी हुई है. इस मुद्दे पर Congress और Aam Aadmi Party ने एलान कर दिया है कि सरकार आने पर वह इसे लागू करेंगे वहीं बीजेपी ने भी अपना रुख साफ नहीं किया है.
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HP Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. कांग्रेस पार्टी एवं आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी है. जबकि BJP ने अभी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर अपना रुख पूरी तरह साफ नहीं किया है. हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी लंबे समय से आंदोलनरत है. पिछले करीब दो माह से नई पेंशन बहाली स्कीम को लेकर हिमाचल पुरानी पेंशन बहाली कर्मचारी महासंघ शिमला में क्रमिक अनशन पर बैठा हुआ है. लेकिन सरकार ने अभी तक उनकी सुध नही ली है.
पुरानी पेंशन बहाली के लिए अनशन पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि उनके पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार कई अनुरोधों के बावजूद पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने में विफल रही है.पुरानी पेंशन योजना, जिसके तहत सरकार द्वारा पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, एक अप्रैल 2004 से देश में बंद कर दी गई थी.
क्या है नई योजना?
नयी योजना के अनुसार, कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है. नेता तो अपना वेतन व पेंशन बढ़ा रहे हैं लेकिन सालों सेवा करने के बाबजूद कर्मियों को पेंशन नही दी जा रही है. चुनाव से पहले यदि सरकार पेंशन बहाली नही करती है तो वह चुनाव में BJP का साथ नही देंगे.
हिमाचल प्रदेश में कुल अढ़ाई लाख कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं. जिनमें से एक लाख तीस हज़ार कर्मचारी NPS के तहत आते हैं ये कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं. लेकिन हिमाचल सरकार की खराब आर्थिक स्थिति OPS बहाली की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. क्योंकि 70 हज़ार करोड़ के कर्ज तले दबी जय राम सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए भी कर्ज उठाना पड़ रहा है. ऐसे में केंद्र से हरी झंडी के बगैर फिलहाल OPS की बहाली के मूढ़ में नही है.
दोनों दल एक दूसरे पर फोड़ते हैं ठीकरा
केंद्र की अटल सरकार ने NPS लाया था लेकिन हिमाचल में इसे वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार ने लागू किया था. इसलिए जब भी ops की बात आती है तो दोनों मुख्य दल एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं.
हिमाचल में वर्तमान में पेंशन का भुगतान करने के लिए वार्षिक 7500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की तो 2030 में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. 2004 में OPS लागू होने के बाद डेढ़ लाख कर्मी सरकारी विभागों में भर्ती हुए. सरकारी कर्मचारियों के अलावा हिमाचल में 30 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी है यानी ठेके पर रखे गए हैं. जिनके लिए सरकार ने अभी नीति नही बनाई है. हाँ दो दिन पहले हुई कैबिनेट की बैठक में इन कर्मियों को नोकरी से न निकालने का निर्णय जरूर लिया गया. लेकिन इससे आउटसोर्स कर्मचारी खुश नही है.
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