Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हर बार जब भी चुनाव आते हैं, तो ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो जाते हैं. बात चाहे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की हो या फिर हिमाचल प्रदेश की. हर बार ईवीएम की सुरक्षा और ईवीएम से छेड़छाड़ की खबरें सामने आती हैं. शनिवार देर शाम रामपुर विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम को निजी गाड़ी में ले जाने का मामला सामने आया. इसके बाद सभी के मन में यह सवाल है कि आखिर ईवीएम को पोलिंग बूथ से स्ट्रांग रूम तक पहुंचाने की क्या प्रक्रिया है और स्ट्रांग रूम में किस तरह ईवीएम की सुरक्षा होती है.


स्ट्रांग रूम में होती है तीन स्तर की सुरक्षा


लोकतंत्र में सबसे बड़ी चुनौती है चुनावों को निष्पक्ष ढंग से पूरा कराना. इसके लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि ईवीएम और वीवीपैट की सुरक्षा भी कड़े इंतजामों के साथ की जाए. किसी भी जिले की ईवीएम और वीवीपैट की सुरक्षा वहां के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के हाथ में होती है. प्रशासन की ओर से ईवीएम की सुरक्षा के लिए तीन स्तर की सुरक्षा का प्रबंध किया जाता है. सुरक्षा के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती की जाती है. केंद्रीय बल स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर और पुलिस के जवान स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर की सुरक्षा देखते हैं. इसके अलावा मानवीय चूक की संभावनाओं को देखते हुए स्ट्रांग रूम की निगरानी सीसीटीवी कैमरा से भी की जाती है. स्ट्रांग रूम में कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता. अधिकारी भी केवल जरूरत पड़ने पर निश्चित प्रक्रिया के तहत ही स्ट्रांग रूम में प्रवेश कर सकते हैं.


वोटिंग से पहले भी कड़ी सुरक्षा में रहती है ईवीएम


ईवीएम की सुरक्षा न केवल मतदान के बाद बल्कि मतदान से पहले भी बेहद कड़ी रहती है. ईवीएम संबंधित जिला अधिकारी की निगरानी में रखी जाती है. जिस कमरे में यह ईवीएम रखी होती है, उसमें डबल लॉक सिस्टम के साथ सीसीटीवी सर्विलेंस की सुविधा भी रहती है. चुनाव से पहले चुनाव आयोग इंजीनियरों को भेज मशीन की जांच कराने के बाद ही इसे चुनाव में वोटिंग के लिए भेजते हैं.


हिमाचल चुनाव से पहले भी ईवीएम पर उठे थे सवाल


विपक्ष लंबे समय से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता आया है. हालांकि चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों की पुष्टि करने के लिए खुला मंच भी दिया था. उस समय किसी भी राजनीतिक दल ने चुनाव आयोग का यह आमंत्रण नहीं स्वीकारा था. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए गए थे. हिमाचल कांग्रेस मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष और सोलन से विधायक धनीराम शांडिल ने ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे. इससे पहले मई, 2022 में हिमाचल कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर हिमाचल प्रदेश में ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी.


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