Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को वोटिंग होगी. इसके लिए सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता जोर-शोर से प्रचार में जुटे हैं. यही नहीं चुनाव जीतने के लिए नेताओं की ओर से अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं. इसमें पैसे बांटने से लेकर दारू और दबंगई का भी सहारा लिया जा रहा है. हिमाचल राज्य निर्वाचन आयोग (Himachal State Election Commission) की रिपोर्ट की अनुसार प्रदेश में अभी तक 21 करोड़ 21 लाख रुपये की नकदी के अलावा बड़ी मात्रा में अवैध शराब और नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा 14 अक्टूबर को हुई थी, तब से पिछले 19 दिनों में अब तक 20176.965 लीटर शराब जब्त की जा चुकी है. जब्त की गई शराब की कीमत 17 करोड़ रुपये आंकी गई है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए नेता बाबा से मिलने और उनके डेराओं की तरफ भी जाते दिख रहे हैं. बाबा से मिलकर और डेरा जाकर नेता उनके समर्थकों का वोट हासिल करने की कोशिश में हैं. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में ब्यास स्थित राधा स्वामी सत्संग के साथ-साथ निरंकारी मिशन, डेरा सच्चा सौदा और सतलोक आश्रम के अच्छे-खासे फॉलोअर हैं.
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पीएम मोदी करेंगे राधा स्वामी डेरे प्रमुख से मुलाकात
5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिमाचल प्रदेश में 2 चुनावी सभाएं करने आ रहे हैं. इस दौरान वे ब्यास स्थित राधा स्वामी डेरे में जाकर वहां के प्रमुख से मुलाकात करेंगे. इससे पहले हिमाचल के परिवहन मंत्री और जसवां-परागपुर से बीजेपी प्रत्याशी बिक्रम सिंह ठाकुर पिछले दिनों डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम से ऑनलाइन सत्संग के दौरान आशीर्वाद लेने पहुंचे थे. इसी तरह नेताओं की ओर से हिमाचल प्रदेश चुनाव के बीच दबंगई भी देखने को मिल रही है. चुनाव में सरेआम दबंगई के उदाहरण दून, हरोली, बिलासपुर और कांगड़ा जिले के कुछ इलाकों में सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि चुनाव विभाग की ओर से इन इलाकों के पोलिंग बूथों को संवेदनशील और अति संवेदनशील श्रेणी में रखता है.
दबंगई के भी कई मामले आए सामने
हिमाचल प्रदेश में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए राजनेता देवताओं के दरबार में भी पहुंच रहे हैं. यह प्रैक्टिस रामपुर, कोटी, कुल्लू, चंबा, कुठार, नालागढ़, कुटलैहड़, नाहन और क्योंथल रियासत में ज्यादा दिखती है. कई इलाकों में लोग भी देव-दोष के डर से इन रियासतों के वंशजों को ही वोट देते हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी इन्हें देवता स्वरूप मानते हैं. सिरमौर में गिरिपार एरिया समेत प्रदेश के कई दुर्गम इलाकों में लूण-लोटा का सहारा लेकर भी वोटरों को अपने पक्ष में किया जाता है. इसमें नेताओं और उनके समर्थकों की ओर से पानी से भरे लोटे में नमक डालकर लोगों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए देवता की कसम खिलाई जाती है.