Himachal Pradesh Assembly Election: हिमाचल प्रदेश में आज 68 विधानसभा सीटों पर मतदान है. राज्य के विधानसभा चुनाव में मुख्य रूप से तीन पार्टियां ताल ठोकती नजर आई हैं. पहली सत्तारूढ़ बीजेपी, दूसरी विपक्ष में बैठी कांग्रेस और तीसरी, पंजाब और दिल्ली में सरकार चला रहे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी. तीनों ही पार्टियों ने जीत का दावा किया है. एक तरफ जहां कांग्रेस को यह उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी राज्य की सत्ता बदलेगी तो वहीं बीजेपी उम्मीद कर रही है कि हिमाचल के मतदाता इस बार "राज नहीं रिवाज बदलेंगे." उधर, 'आप' का कहना है कि वे दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ रहे हैं और लोग बिजली-पानी जैसे बुनियादी मुद्दों पर उनके साथ खड़े हैं. चलिए अब आपको विधानसभा चुनाव की 10 दिलचस्प बातें बताते हैं-
- हिमाचल प्रदेश में कुल विधानसभा सीटें 68 हैं और इस बार चुनावी मैदान में 412 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इनकी किस्मत का फैसला राज्य के 55,74,793 मतदाता करेंगे. इनमें 28 लाख 46 हजार 201 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 27 लाख 28 हजार 555 महिलाएं हैं. 37 मतदाता थर्ड जेंडर में आते हैं. ये भी जान लीजिए कि पहली बार मत डालने वाले वोटर्स की संख्या कुल 1.86 लाख है. इनमें 1.01 लाख पुरुष और 85 हजार 463 महिलाएं हैं. छह वोटर्स थर्ड जेंडर की श्रेणी में आते हैं.
- हिमाचल प्रदेश के चुनाव इस बार काफी दिलचस्प नजर आए हैं. अब राज्य में कहने को तो आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ रही है, लेकिन मैदान में अगर सबसे ज्यादा किसी की सक्रियता दिखाई दी है, तो वो है बीजेपी और कांग्रेस की. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य में बीजेपी और कांग्रेस में सीधी लड़ाई नजर आ रही हैं. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि आम आदमी पार्टी पहाड़ी राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही है. ऐसे में जितना स्पेस बीजेपी और कांग्रेस के पास है, उतना केजरीवाल की पार्टी के पास नहीं है.
- हिमाचल प्रदेश के चुनाव की एक खास बात यह भी है कि यहां 1985 से अब तक सरकार बदलने की परंपरा रही है. यह कहा जा सकता है कि यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस और बीजेपी को बराबर का मौका दिया है. एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस ने यहां सरकार बनाई है. हालांकि, इस बार बीजेपी का दावा है कि वे राज्य में दोबारा वापसी करेंगे. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि इस बार विधानसभा चुनाव काफी अप्रत्याशित रहने वाला है. यह पहली बार है जब दो सबसे लोकप्रिय और दिग्गज राजनेता, कांग्रेस के वीरभद्र सिंह और बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल दौड़ में नहीं हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जयराम प्रशासन सत्ता हथियाकर इतिहास रच पाएगा या राज्य वैकल्पिक सरकार चुनने की अपनी परंपरा को जारी रखेगा.
- हिमाचल में बीते 37 सालों से सरकार बदलने की परंपरा चली आ रही है और कांग्रेस को उम्मीद है कि वह सत्ता में वापसी करेगी. हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पहाड़ी राज्य के चुनाव को लड़ा ही इस मुद्दे पर है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कुछ दिन पहले ही नारा दिया था कि "इस बार राज नहीं रिवाज बदलेंगे." इस नारे को बीजेपी ने चुनाव प्रचार में खूब इस्तेमाल किया और मतदाताओं से अपील की कि एक बार फिर राज्य में बीजेपी की सरकार बनाएं.
- कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी अहम है. एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी देश में लगातार हर प्रमुख चुनाव हार रही है, उसी समय कांग्रेस को हिमाचल में एक उम्मीद दिख रही है. हालांकि, वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस का यह पहला चुनाव होगा. 8 जुलाई, 2021 को उनका निधन हो गया था और कद्दावर नेता सिंह ने कांग्रेस की राज्य में कई बार सरकार बनवाई. हिमाचल की जनता का उनसे खास लगाव था और यह बात किसी से छिपी भी नहीं है.
- एक तरफ जहां कांग्रेस वीरभद्र सिंह के बिना चुनाव लड़ रही है तो वहीं बीजेपी भी प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व के बिना ही चुनाव लड़ रही है. 78 वर्षीय प्रेम कुमार धूमल इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. अब कहा तो यह जा रहा है कि प्रेम कुमार धूमल को मार्गदर्शक की भूमिका में रखा गया है, लेकिन चुनाव के दौरान ऐसा नजर नहीं आया. बीजेपी इस बार युवा नेतृत्व के सहारे चुनावी मैदान में उतरी है.
- देश की राजधानी दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी की नजर अब हिमाचल प्रदेश पर है. केजरीवाल ने हिमाचल के चुनाव को काफी गंभीरता से लिया है. आम आदमी पार्टी पहली बार पहाड़ी राज्य के विधानसभा चुनाव में उतरी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल में दिल्ली मॉडल को पेश करने की पूरी कोशिश की. उन्होंने लगभग हर जनसभा में अपने काम गिनाए. केजरीवाल ने कई बार यह कहा कि हिमाचल की जनता दो पार्टियों से परेशान हो चुकी है और अब उन्हें नए विकल्प की तलाश है. केजरीवाल ने 'आप' को बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ विकल्प के रूप में पेश किया.
- इस बार के विधानसभा चुनाव में एक और खास बात नजर आई, जिसकी काफी चर्चा भी हुई. पार्टी की छवि को सुधारने के प्रयास में भारतीय जनता पार्टी ने 11 मौजूदा विधायकों को टिकट देने से इंकार कर दिया और 23 नए चेहरों को मैदान में उतारा. इसके अलावा दो मंत्रियों को अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया और एक कैबिनेट मंत्री को हटा दिया.
- हिमाचल के विधानसभा चुनाव में एससी वोटर्स भी अहम भूमिका में रहते हैं. पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा एससी मतदाता हैं. 68 में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. प्रदेश में एससी-एसटी समुदाय की 30 फीसदी आबादी है, जो मतदान को सीधे इफेक्ट करती है. सिरमौर जिले में अनुमानित 30.34 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति से है, इसके बाद मंडी में 29 प्रतिशत, सोलन और कुल्लू में 28 प्रतिशत और राजधानी शिमला में 26 प्रतिशत है.
- वैसे तो इस विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 412 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कुछ खास चेहरे हैं जिनपर लोगों की नजरें टिकी हैं. इन चेहरों में सेराज सीट से सीएम जयराम ठाकुर जिनकी टक्कर कांग्रेस उम्मीदवार चेतराम ठाकुर के साथ होगी तो वहीं AAP ने गीता नंद ठाकुर को मैदान में उतारा है. इसके अलावा पूर्व बीजेपी प्रमुख सत्ती ऊना से अपना भाग्य आजमा रहे हैं. शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज कसुम्पटी से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस के विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री हरोली से, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से ताल ठोक रहे हैं.
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