Himachal Pradesh Land Ceiling Act Ammendment Bill: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा (संशोधन) विधेयक, 2024 (2024 का विधेयक संख्यांक 42) सदन में पारित हो गया. बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन बिल पेश किया था. शुक्रवार (20 दिसंबर) को इस बिल पर चर्चा के बाद पारित कर दिया गया.
हालांकि सदन में भारतीय जनता पार्टी इस संशोधन विधेयक को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रही थी, लेकिन सरकार ने इसे ध्वनि मत के साथ पारित कर दिया. बीजेपी चाहती थी कि इसके लिए कोई अन्य बेहतर विकल्प निकाला जाए.
राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल ट्रस्ट को छूट
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में बताया कि इस संशोधन विधेयक के जरिए धार्मिक संस्थाओं को सेवा, धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य के लिए छूट मिलेगी. मुख्य रूप से राधा स्वामी सत्संग ब्यास और अन्य संस्थाओं को डेढ़ सौ बीघा तक जमीन ट्रांसफर की जा सकेगी. राजस्व मंत्री ने कहा कि यदि इस जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य कार्य के लिए होगा, तो यह वापस सरकार के पास आ जाएगी. इस संशोधन में यह ध्यान रखा गया है कि भूमि का गलत इस्तेमाल न हो.
बीजेपी ने क्या कहा?
संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के सदस्य रणधीर शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विधायक दल भी चाहता है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल ट्रस्ट की समस्या का समाधान हो. भारतीय जनता पार्टी इस संस्था की ओर से किए जाने वाले कार्यों की भी सराहना करता है, लेकिन भाजपा को इसके दुरुपयोग का डर है.
उन्होंने कहा कि इसकी आड़ में अन्य संस्थाएं भी आकर इसका दुरुपयोग का इस्तेमाल करेंगे. ऐसे में राज्य सरकार इस बिल को पारित करने से पहले सिलेक्ट कमेटी के पास इस भेजें, ताकि हिमाचल प्रदेश के हितों के संरक्षण किया जा सके. इसके लिए बेहतर विकल्प निकाला जा सकता है.
संशोधन के बाद दुरुपयोग का डर- जयराम ठाकुर
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रति अपनी आस्था जताई. उन्होंने कहा कि वह उनके सेवा कार्यों का सम्मान करते हैं. जयराम ठाकुर ने कहा कि अच्छी बात है कि राज्य सरकार ने राधा स्वामी सत्संग की मदद का रास्ता निकाला है, लेकिन प्रदेश हित सर्वोपरि है. ऐसे में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि अन्य संस्थाएं इसका फायदा गलत तरीके से न उठाएं.
उन्होंने कहा कि यह भी प्रश्न है कि क्या इस तरह का संशोधन किया भी जा सकता है या नहीं. ऐसे में इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. राज्य सरकार को इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. सिलेक्ट कमेटी के पास आकर संशोधन विधायक जाएगा, तो इसका एक बेहतर रास्ता भी निकल सकता है.
चर्चा के दौरान CM सुक्खू ने क्या कहा?
संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के हितों को नहीं बिकने देगी. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को यह ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार यह जमीन उद्योगपतियों को नहीं दे रही है, बल्कि राज्य सरकार का इसके पीछे एक ईमानदार प्रयास है. बीजेपी ने तो एक रुपए की लीज में जमीन देने का काम किया था. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच सदन में गहमागहमी भी देखने को मिली. विपक्ष ने स्पष्ट किया कि वह इस संशोधन विधेयक का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए.
इसके बाद राजस्व मंत्री ने दोबारा स्पष्ट किया कि सेवा, अध्यात्म और धार्मिक कार्यों के लिए ही भूमि ट्रांसफर करने की छूट दी जाएगी. इस संशोधन के बाद डेढ़ सौ बीघा तक की भूमि ट्रांसफर की जा सकेगी. अन्य किसी कार्यों के लिए इस भूमि का इस्तेमाल नहीं होगा. इसके बाद हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा (संशोधन) विधेयक, 2024 (2024 का विधेयक संख्यांक 42) सदन में ध्वनिमत से पारित हो गया.
यह भी पढ़े: क्रिप्टो करेंसी घोटाले में 78 आरोपियों की हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तारी, अब तक 37 करोड़ की संपत्ति जब्त