Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने बीते दो सालों में 1 हजार 865 संस्थान बंद किए हैं. इनमें कई संस्थाओं को मर्ज किया गया या बंद किया गया है. बीते दो सालों में राज्य सरकार ने 37 नए संस्थान खोले और 103 नए संस्थान नोटिफाई किया. बीते दो सालों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 1 हजार 094 प्राइमरी स्कूल भी बंद किए हैं.


हिमाचल प्रदेश विधानसभा में प्रश्न काल के दौरान प्रश्न संख्या- 1765 में मिली जानकारी के मुताबिक, कृषि विभाग के सात, पशुपालन विभाग के 101, आयुष विभाग के 44, प्रारंभिक शिक्षा विभाग के 1 हजार 094, वन विभाग के दो, सामान्य प्रशासन विभाग के दो, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के 257, उच्चतर शिक्षा विभाग के 91, गृह विभाग के 19, उद्यान विभाग के चार, उद्योग विभाग का एक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का एक, जल शक्ति विभाग के 46.


श्रम एवं रोजगार विभाग के नौ बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा विभाग के 35, कार्मिक विभाग का एक, लोक निर्माण विभाग के 16, राजस्व विभाग के 117, ग्रामीण विकास विभाग के 11, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग का एक, तकनीकी शिक्षा विभाग के पांच और शहरी विकास विभाग का एक संस्थान बंद किया गया है. इस तरह राज्य में कुल 1 हजार 865 संस्थान बंद हुए हैं.


पक्ष-विपक्ष के बीच वाले सियासी तीर


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने चुनावी लाभ लेने के लिए आखिरी छह महीने में संस्थान खोलने का काम किया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जरूरत मुताबिक संस्थान खोल रही है. विपक्ष के सदस्यों ने इस सवाल के जवाब के दौरान खूब हंगामा भी किया. प्रश्न काल के दौरान आए इस सवाल में कई सप्लीमेंट्री सवाल भी पूछे और अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में दोबारा संस्थान खोलने पर विचार करने के लिए कहा. विपक्ष ने मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्टि भी जाहिर की और सदन से बाहर चले गए.


हालांकि यह सदन की कार्यवाही में वॉकआउट के तौर पर दर्ज नहीं हुआ, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इस प्रश्न पर चर्चा के लिए लंबा वक्त दिया था. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन के बाहर कहा कि हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे जरूर स्कूल और संस्थान बंद किए गए हैं, जो जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए खोले गए थे. अब मुख्यमंत्री जरूरत के मुताबिक संस्थान खोलने की बात कर रहे हैं, जबकि जरूरत क्या है इसकी परिभाषा ही स्पष्ट नहीं है. मुख्यमंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं. राज्य की जनता परेशान हो रही है.


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