Himachal Pradesh News: इस बार सर्दियों के मौसम में औसत से कम बर्फबारी और बारिश होने की वजह से हिमाचल प्रदेश पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है. प्रदेश के कई इलाकों में बर्फबारी और बारिश 50 फीसदी तक कम हुई है. ऐसे में गर्मियों के मौसम में प्रदेश के लोगों को पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज होना पड़ सकता है.
मौसम के जानकार मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमाचल प्रदेश में इस बार कम बर्फबारी और बारिश हुई है. इससे न केवल पर्यटन और बागवानी क्षेत्र से जुड़े लोगों को नुकसान हुआ, बल्कि अब गर्मियों के मौसम में इससे पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ेगा. हालांकि, पहले के सीजन में भी मार्च तक बर्फबारी और बारिश होती रही है. ऐसे में अभी भी उम्मीद जताई जा रही है कि बारिश और बर्फबारी की वजह से कुछ हद तक इस संकट को कम किया जा सकेगा.
टेंशन में सुक्खू सरकार
हिमाचल प्रदेश में संभावित जल संकट को लेकर सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं. प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में सभी जिला उपायुक्तों और विभाग अध्यक्षों के साथ बैठक हुई है. इस बैठक में मुख्य सचिव ने जिला उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब की है. साथ ही उन्हें सूखे की संभावित स्थिति से निपटने के लिए ठोस कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं. मुख्य सचिव ने जल शक्ति विभाग को योजनाओं से सुचारू पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कहा है. साथ ही पेयजल के प्राकृतिक स्रोतों के रख-रखाव और इनके आस-पास स्वच्छता बनाए रखने के भी निर्देश जारी किए गए हैं.
क्या इन बैठकों से निकलेगा कोई हल?
हिमाचल प्रदेश सरकार की इन बैठकों का कितना असर देखने के लिए मिलेगा? यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल लोग सूखे की आशंका को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. सरकार ने प्रदेशवासियों से पेयजल का सदुपयोग सुनिश्चित करने की भी अपील की है. ताकि संभावित सूखे के वक्त जल संकट को कम किया जा सके.
याद आया 2018 का शिमला जल संकट
साल 2023 में आने वाले संभावित जल संकट के चलते लोगों को साल 2018 में आया शिमला का जल संकट याद आ रहा है. इस दौरान शिमला के लोगों को करीब दो हफ्ते तक पानी की बूंद-बूंद के लिए मोहताज होना पड़ा था. पानी नलों से नहीं बल्कि नगर निगम के टैंकर के जरिए लोगों तक पहुंच रहा था. लोगों को लंबी कतारें लगाकर सड़क पर पानी भरने के लिए मजबूर होना पड़ा था.हालात यह थे कि पानी के टैंकर वाले ट्रक में भी पुलिस जवानों को ड्यूटी पर तैनात करना पड़ा. मई 2018 में आए जल संकट से शिमला को उभारने में दो हफ्ते से ज्यादा का समय लग गया था. आम जनता अब छह साल पहले आए इस संकट को याद करते ही सहम जाती है. ऐसे में लोग यहां कामना कर रहे हैं कि ऐसा जल संकट दोबारा देखने के लिए न मिले.
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