Himachal Pradesh: लोकतंत्र में संवाद से खूबसूरत और कुछ भी नहीं होता. संवाद के जरिए सरकार न केवल लोगों की परेशानी समझ सकती है, बल्कि इसका समाधान भी आसानी से किया जा सकता है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu ) 17 फरवरी को अपना दूसरा बजट पेश करेंगे. इससे पहले शिमला (Shimla) के होटल पीटर हॉफ में मुख्यमंत्री ने दुग्ध उत्पादकों के साथ संवाद किया.


मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लाई जाएंगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर है. इसमें कृषि और दुग्ध उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसे में राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई योजनाएं ला रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने दावा किया कि आने वाले बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए जो योजनाएं लाएंगे, उसका परिणाम आने वाले दो सालों में नजर भी आने लगेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती में किसानों का भविष्य है. इसमें पशुपालन की भी अहम भूमिका है. कृषि और दूध उत्पादन का सीधा संबंध है.


दूध उत्पादकों को टैक्स में मिल सकती है रियायत
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा "किसानों के हाथ तक सीधा पैसा पहुंचे, इसके लिए नियमों में बदलाव भी किए जा रहे हैं. उनकी सरकार जन सहयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री ने कहा दूध खरीद के मूल्य को हाल ही में 6 रुपये बढ़ाया गया है. राज्य सरकार दूध उत्पादकों को टैक्स में छूट देने के बारे में भी सोच रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की दुग्ध आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम कर रही है. 


500 करोड़ रुपये से हिम गंगा योजना की शुरुआत
सीएम सुक्खू ने कहा कि दूध खरीद मूल्य को लागत मूल्य के आधार पर देने के लिए ‘हिम गंगा योजना’ की शुरुआत इसी वित्त वर्ष से कर दी गई है. इसके लिए 500 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही जिला कांगड़ा के ढगवार में 1 लाख 50 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता का दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा.  इसकी क्षमता 3 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती है. यह संयंत्र पूरी तरह ऑटोमैटिक होगा. उन्होंने कहा कि  इस पर अनुमानित 226 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. संयंत्र की स्थापना के लिए लैंड ट्रांसफर का काम पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि बकरी के दूध और पहाड़ी गाय के दूध की खूबियों का भी अध्ययन किया जा रहा है.


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