Himachal Pradesh News: किसी भी सरकार को चलाने में अफसरशाही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की नेतृत्व वाली सरकार में अफसरशाही में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है. आम जनता के बीच चर्चा है कि सुक्खू सरकार में 'ऑल इज नॉट वेल' वाली स्थिति पैदा हो चुकी है.


जनवरी महीने की शुरुआत में ही साल 1987 बैच के आईएएस अधिकारी राम सुभग सिंह (Ram Subhag Singh) को विशेष मुख्य सचिव के पद से मुक्त कर दिया गया है. यह पहली बार था जब हिमाचल प्रदेश में विशेष मुख्य सचिव का पद दिया गया था. बताया जा रहा है कि राम सुभग सिंह ने खुद ही यह पद छोड़ने की पेशकश की थी.


विशेष मुख्य सचिव पद से रामसुभग सिंह भारमुक्त
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तीन आईएएस अधिकारियों को सुपरसीड करते हुए साल 1990 बैच के अधिकारी प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव बनाया. साल 1987 बैच के आईएएस अधिकारी राम सुभग सिंह को विशेष मुख्य सचिव पद के साथ ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अब उन्हें इस पद से भारमुक्त कर दिया गया है. अब वह केवल बिजली बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहेंगे.


 अब सचिवालय में नहीं रहेगा राम सुभग सिंह का कमरा
एक अन्य आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता को भी सुपरसीड करते हुए प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव बनाया गया था. संजय गुप्ता को सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी दी है. हालांकि उन्हें विशेष मुख्य सचिव का पद नहीं दिया गया था. विशेष मुख्य सचिव पद से बाहर मुक्त होने के बाद राम सुभग सिंह भी राज्य सचिवालय में नहीं बैठ सकेंगे. आईएएस अधिकारी निशा सिंह को सरकार पहले ही हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान का जिम्मा सौंप चुकी है.


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