Himachal By-Election: हिमाचल उपचुनाव में कांग्रेस से आए नेताओं को टिकट देने के बाद फंसी BJP! नहीं माने रूठे नेता
Himachal By-Election News: हिमाचल उपचुनाव में बीजेपी ने इस बार कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसके बाद से बीजेपी के अपने नेता नाराज चल रहे हैं.
By Election In Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण में लोकसभा के चुनाव होने हैं. यहां चार लोकसभा सीट के साथ छह विधानसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होना है. भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से आए उन सभी पूर्व विधायकों को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में सत्ता में बैठी कांग्रेस का खेल बिगड़ने का काम किया था. कांग्रेस से आये विधायकों और पूर्व विधायकों को टिकट दिए जाने के बाद से ही बीजेपी के अपने नेता नाराज चल रहे हैं.
दरअसल, देशभर में जिस भारतीय जनता पार्टी की पहचान उसके उसकी संगठन की शक्ति के तौर पर होती है, उसी संगठन को चलाने वाले कुछ नेता नाराज चल रहे हैं. बीजेपी के लिए चिंता की बात यह है कि अब तक इन नेताओं का मान मनौवल भी नहीं हो सका है.
हिमाचल प्रदेश में छह विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं. लगभग हर सीट पर बीजेपी को अपने ही नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. धर्मशाला सुजानपुर, लाहौल स्पीति, गगरेट बड़सर और कुटलैहड़ में उपचुनाव होने हैं और हर सीट पर पहले से स्थापित नेता नाराज चल रहे हैं.
बीजेपी से कांग्रेस में चले गए रंजीत राणा
बात अगर सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की करें, तो यहां साल 2022 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कैप्टन रंजीत सिंह राणा (रिटायर्ड) भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. वे यहां से उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी भी घोषित हो चुके हैं. इसी तरह गगरेट से राकेश कालिया भी नाराज होकर कांग्रेस में जा चुके हैं. वे उपचुनाव में अब गगरेट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. हालांकि, वह कांग्रेस के ही नेता थे और साल 2022 से पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे. धर्मशाला से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राकेश चौधरी भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. वे भी लगातार कांग्रेस के संपर्क में हैं.
मारकंडा भी कर चुके हैं बगावत का ऐलान
लाहौल स्पीति से चुनाव लड़ने वाले डॉ. राम लाल मारकंडा खुलेआम अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. वह तत्कालीन जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. उन्होंने लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की टिकट की घोषणा के साथ ही बगावत का ऐलान कर दिया था और कांग्रेस चुनाव लड़ने तक की बात कह दी थी. हालांकि बाद में कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से कदम पीछे हटा लिए. कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में भी स्थिति खराब है. यहां साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े वीरेंद्र कंवर नाराज चल रहे हैं. वीरेंद्र कंवर ने अब तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. कंवर भी तत्कालीन जयराम सरकार में कृषि मंत्री रहे और मौजूदा वक्त में हिमाचल भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं. यहां से अब बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे देवेंद्र कुमार भुट्टो तो वीरेंद्र कंवर के ही भांजे हैं और भुट्टो ने ही कंवर को साल 2022 का विधानसभा चुनाव भी हराया था.
नालागढ़ में भी बगावत के सुर बुलंद
यही नहीं, जिन तीन विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिए हैं, वहां इस्तीफा स्वीकार होने और उपचुनाव की घोषणा से पहले ही बगावत के स्वर सुनाई देने लगे हैं. नालागढ़ इसका उदाहरण है. यहां कृष्ण लाल ठाकुर के बीजेपी में वापस आते ही साल 2022 का चुनाव लड़े लखविंदर राणा खुले मन से नाराज की जाहिर कर चुके हैं. हालांकि, बाद में उन्हें एडजस्ट करते हुए पार्टी ने प्रदेश स्तर का प्रवक्ता नियुक्त किया. लखविंदर राणा भी साल 2022 में ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे. उन्होंने हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के सामने ही यह बात कह डाली थी कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आकर गलती कर दी. अगर कांग्रेस में ही रहते तो चुनाव भी जीते और मंत्री भी बनते.
HP Lok Sabha Elections: पुलिस-आबकारी विभाग की बड़ी कार्रवाई, अब तक 10.60 करोड़ की ड्रग्स और शराब जब्त