By-election in Himachal Pradesh: जहां पूरे देश की नजर लोकसभा चुनाव पर है वहीं हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ छह विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव भी बेहद अहम हैं. उपचुनाव के परिणाम यह भी तय करेंगे कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार पूरे पांच साल कितनी मजबूती के साथ चलेगी. हिमाचल प्रदेश के छह विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हैं. इनमें सुजानपुर, कुटलैहड़, गगरेट, धर्मशाला और लाहौल स्पीति शामिल हैं.
जिन छह विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं, उनमें चार क्षेत्र के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू वाले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत ही आते हैं. ऐसे में हमीरपुर ही इन दिनों हिमाचल प्रदेश की सियासत का केंद्र बना हुआ है.
हमीरपुर के चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले सुजानपुर, कुटलैहड़, बड़सर और गगरेट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस बीजेपी पूरा दम लगाती हुई नजर आ रही है. भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए सभी छह पूर्व विधायकों को अपना प्रत्याशी बना दिया है. वहीं, अब तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा न कर पाई कांग्रेस को लड़ाई में बरकरार रखने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार हमीरपुर में ही डटे हुए हैं.
बीजेपी के सामने भी बड़ी चुनौती
50 साल की उम्र में पांचवीं बार सांसद बनने के लिए चुनावी मैदान में उतरे अनुराग की स्थिति सियासी रूप से खासी मजबूत है, लेकिन अनुराग ठाकुर के सामने अपनी जीत के साथ इन चारों सीटों के उपचुनाव पर जीत दिलवाने की भी जिम्मेदारी आ गई है. पहले राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के बाद तत्कालीन विधायकों ने व्हिप का भी उल्लंघन किया. इस व्हिप के उल्लंघन के चलते उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी.
हिमाचल बीजेपी ने जिस मजबूती के साथ ऑपरेशन लोटस की तरफ कदम बढ़ाया, उस लोटस की पंखुड़ियां अब तार-तार न हो, इसके लिए बीजेपी को पूरा दम लगाना पड़ रहा है. बीजेपी उम्मीद में है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के साथ राज्य सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर, इन सीटों पर जीत हासिल की जा जाए, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले वक्त में बीजेपी के लिए सियासी रूप से मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. यही नहीं, बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को अपने केंद्रीय नेतृत्व के सामने जवाब देते तक नहीं बनेगा.
कांग्रेस लड़ रही सीएम बचाने की लड़ाई
हिमाचल प्रदेश में साल 2022 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह पहली बार हुआ, जब राज्य के निचले हिस्से की झोली में मुख्यमंत्री की कुर्सी आई. इससे पहले कांग्रेस के सभी मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार, राम लाल ठाकुर और वीरभद्र सिंह शिमला संसदीय क्षेत्र से ही संबंध रखने वाले थे. यह पहली बार हुआ, जब हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से संबंध रखने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री और मुकेश अग्निहोत्री को उप मुख्यमंत्री बनाया गया. अब हमीरपुर में इलाके के कांग्रेस नेता अपने मुख्यमंत्री को बचाने और मजबूती से उनका साथ देने का माहौल तैयार कर रही है. हमीरपुर में अपना मुख्यमंत्री बचाने की लड़ाई लड़ी जा रही है.
पहले भी 'अपना' मुख्यमंत्री खो चुका है हमीरपुर
साल 2017 में भी हमीरपुर के हाथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी छिटक गई थी. भारतीय जनता पार्टी ने प्रो. प्रेम कुमार धूमल को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन आखिरी वक्त में उनकी सीट बदले जाने की वजह से सुजानपुर में राजिंदर राणा ने उन्हें चुनाव हरा दिया. अब वही राजिंदर राणा कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए हैं और बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि उपचुनाव की इस जीत पर ही हमीरपुर से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री का सियासी भविष्य भी तय होगा. ऐसे में कांग्रेस इस भावना को आम जनता तक कितने भीतर तक पहुंचा सकती है. यह भी यह देखना भी बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है.