Himachal Cabinet Expansion: हिमाचल में दिवाली पर भी नहीं हुआ मंत्रिमंडल विस्तार, अब हो रहा नए साल का इंतजार
Himachal Pradesh Cabinet Expansion: हिमाचल प्रदेश में दिवाली पर ही मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका. ऐसे में अब नया साल संभावित मंत्रियों के लिए खुशियां लाएगा या नहीं, इस पर सभी की नजरें हैं.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में लंबे वक्त से मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार हो रहा है. जब भी कोई त्योहार आता है, तब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं जोर पकड़ लेती हैं. इससे पहले नवरात्रि के मौके पर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था, लेकिन तब भी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका. हिमाचल प्रदेश मंत्रिपरिषद में खाली पड़े तीन पदों के भरे जाने का लंबे वक्त से इंतजार हो रहा है. दिवाली पर भी विस्तार न होने के बाद संभावित मंत्रियों का इंतजार बरकरार है.
हिमाचल की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार मानते हैं कि हिमाचल हाईकोर्ट से मुख्य संसदीय सचिव नियुक्ति मामले में फैसले के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार होगा. जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, वैसे-वैसे संभावित मंत्रियों की सूची भी बढ़ती ही चली जा रही है. वक्त के साथ इस सूची में कई विधायकों की एंट्री भी हुई है, तो कई विधायकों का नाम कटा भी है. मौजूदा वक्त में मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे पहला नाम धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा का ही है. सुधीर शर्मा एक अकेले ऐसे विधायक हैं जो वीरभद्र सरकार में तो मंत्री रहे, लेकिन सुक्खू सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला.
विधायक राजेश धर्माणी भी मंत्री पद की रेस में
जानकारों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व में शामिल एक बड़े नेता के साथ अनबन की वजह से सुधीर शर्मा को मंत्री नहीं बनाया गया. इसके अलावा दूसरा नाम घुमारवीं से विधायक राजेश धर्माणी का है. राजेश धर्माणी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिला से जीतने वाले कांग्रेस के एक मात्र विधायक हैं. वीरभद्र सरकार में भी वे मुख्य संसदीय सचिव भी रहे और अब उनके मंत्री बनना लगभग तय है. हालांकि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में उनका नाम क्यों काटा गया, इस बारे में न तो खुद राजेश धर्माणी जानते हैं और न ही राजनीति के बड़े-बड़े जानकार.
जिला कांगड़ा से मंत्री पद के कई दावेदार
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में भारी क्षेत्रीय असंतुलन है. जिला कांगड़ा में कुल 16 विधानसभा सीट हैं. इनमें से 10 में कांग्रेस को जीत मिली है, लेकिन सबसे बड़े जिला कांगड़ा से केवल एक ही मंत्री बनाया गया है. यहां से कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ही मंत्रिमंडल में अपने जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अब इसी जिले से जयसिंहपुर के विधायक यादविंदर गोमा का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर चर्चाओं में है. जयसिंहपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के विधायकों को प्रतिनिधित्व देने की बात कर चुके हैं. ऐसे में क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ जातीय संतुलन साधने के लिए गोमा उपयुक्त नाम हैं. इसके अलावा जिला कांगड़ा से ही ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन और फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया भी मंत्रिमंडल की मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले विस्तार अहम
देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चंद महीनों का वक्त रह गया है. ऐसे में इन लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार करना जरूरी है. इससे सरकार को न केवल क्षेत्रीय समीकरण साधने हैं, बल्कि अपने विधायकों को भी संतुष्ट रखना है. विधायकों की संतुष्टि समर्थकों की खुशी और जोश के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है.
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी लगातार सरकार को मंत्रिमंडल विस्तार न कर पाने को लेकर आए दिन घेरने में लगा रहता है. ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने सभी समीकरणों को साधते हुए अपने दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार को जल्द से जल्द पूरे करने की चुनौती है.
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