Himachal Cabinet Expansion: CM दादा की राजनीतिक विरासत पोते ने संभाली, रोहित ठाकुर को पहली बार मिला मंत्री पद
Himachal Pradesh: उन्हें सीएम सुक्खू का करीबी माना जाता है, नये मंत्रिमंडल में सात मंत्रियों में से पांच मंत्री पहली बार शामिल किया गए हैं. रोहित ठाकुर के दादा प्रदेश के सीएम रह चुके हैं.
Himachal Pradesh Cabinet Expansion:: रविवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हो गया. इस विस्तार में हमेशा सत्ता के साथ कदमताल करने वाले जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिला. जुब्बल-कोटखाई से चौथी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे रोहित ठाकुर (Rohit Thakur) को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बनने से पहले कभी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं रहे. लिहाज़ा, नए चेहरों को मौका देने की कोशिश उनके मंत्रिमंडल में भी देखने को मिली. सीएम सुक्खू के मंत्रिमंडल में सात मंत्रियों में से पांच मंत्री पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे हैं. इन नए मंत्रियों में एक नाम रोहित ठाकुर का भी है.
युवा कांग्रेस से की राजनीतिक सफर की शुरुआत
जुब्बल-कोटखाई के बर्थाटा क्षेत्र से आने वाले रोहित ठाकुर का जन्म शिमला में हुआ. 14 अगस्त, 1974 को पिता जगदीश ठाकुर और माता सरिता ठाकुर के घर जन्मे रोहित ठाकुर का नाता राजनीति से बेहद छोटी उम्र में जुड़ गया था. उनके दादा ठाकुर रामलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. रोहित ठाकुर ने राजनीतिक शास्त्र में बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. अपने दादा के पद चिन्हों पर चलते हुए रोहित ठाकुर ने यूथ कांग्रेस से अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत की.
रोहित ठाकुर साल 2002 से साल 2004 तक हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य रहे. साल 2002 से अब तक रोहित ठाकुर जुब्बल-कोटखाई से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी हैं. इस बीच साल 2008 से साल 2011 तक वे हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी रह चुके हैं.
राजनीतिक विरासत को पोते ने संभाला
रोहित ठाकुर मुख्यमंत्री सुक्खू के बेहद करीबी माने जाते हैं. उनके परिवार का भी राजनीति से गहरा नाता रहा है. रोहित ठाकुर के दादा ठाकुर रामलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इससे पहले रामलाल ठाकुर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे. हालांकि रोहित के पिता ने राजनीति में सक्रिय तौर पर कोई भूमिका नहीं निभाई. रोहित ठाकुर ने ही दादा की विरासत को आगे बढ़ाया. ठाकुर रामलाल के देहांत के बाद साल 2003 में वो पहली बार जुब्बल-कोटखाई से चुनाव मैदान में उतरे और विधानसभा के सदस्य बने.
हिमाचल प्रदेश को अब तक दो मुख्यमंत्री देने वाले विधानसभा क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई का चुनावी इतिहास सत्ता पक्ष के साथ रहा है. यह वही विधानसभा क्षेत्र है, जहां रामलाल ठाकुर के सामने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपने जीवन की पहली और अंतिम चुनावी हार का सामना करना पड़ा था. जुब्बल-कोटखाई से कभी न हारने वाले दादा राम लाल ठाकुर से इतर रोहित ठाकुर का सफर चुनौतीपूर्ण रहा है.
अब तक चार चुनाव जीते हैं रोहित ठाकुर
रोहित ठाकुर को साल 2003 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद साल 2007 और फिर साल 2017 में हार का सामना भी करना पड़ा. दो हार और होली लॉज से तल्खी के बावजूद लोगों के बीच रोहित की पकड़ और मिलनसार स्वभाव ने उन्हें कभी राजनीति से बाहर नहीं जाने दिया. साल 2003 के बाद रोहित को साल 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली. इसके बाद साल 2021 के उपचुनाव और फिर साल 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर रोहित ठाकुर चौथी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे.
साल 2012 में जीत के बाद रोहित ठाकुर को साल 2013 से साल 2017 तक बागवानी विभाग के मुख्य संसदीय सचिव की जिम्मेदारी भी दी गई. नई सरकार के गठन के साथ अब रोहित ठाकुर बतौर कैबिनेट मंत्री एक नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं.