Himachal Pradesh Cabinet Expansion: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र धर्मशाला स्थित विधानसभा में चल रहा है. इस बीच आज गुरुवार (5 जनवरी) दोपहर को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अचानक दिल्ली रवाना हो गए. मुख्यमंत्री दिल्ली में आलाकमान के साथ मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में लंबित पड़ा मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे के बाद जल्द पूरा कर लिया जाएगा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शुक्रवार को होने वाले तीसरे दिन की कार्यवाही से पहले वापस धर्मशाला पहुंच जाएंगे.


हिमाचल प्रदेश में नहीं हुआ है मंत्रिमंडल विस्तार


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री के तौर पर मुकेश अग्निहोत्री ने 11 दिसंबर को शपथ ली थी. हालांकि अभी हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है. हिमाचल कांग्रेस के बड़े कद्दावर चेहरे चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री और आलाकमान के सामने जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. कई कद्दावर नेताओं के जीतने की वजह से उन्हें एडजस्ट करना भी सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है. यही वजह है कि अब करीब एक महीने होने पर भी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है.


दो जिलों में मंत्री पद को लेकर फंसा है पेंच


हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार का पेंच जिला कांगड़ा और जिला शिमला में फंसा हुआ नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला की कुल आठ सीटों में से सात पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं. इनमें से पांच उम्मीदवार मंत्री बनने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. मुख्य तौर पर शिमला से विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, रोहित ठाकुर और कुलदीप सिंह राठौर मंत्री पद की दौड़ में है.


सीएम सुक्खू के सामने समीकरण साधने की बड़ी चुनौती


इसके साथ ही कुल 15 में से कांगड़ा की 10 सीटों पर जीत हासिल करने वाले मंत्री पद के लिए चंद्र कुमार, सुधीर शर्मा और रघुबीर सिंह बाली का नाम रेस में चल रहा है. वहीं अन्य जिलों में भी मुख्यमंत्री के सामने समीकरण साधने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. चुनाव जीतने के बाद ही सभी नेता दिल्ली जाकर डट गए थे. दिल्ली में सभी नेताओं ने मंत्री पद के लिए जमकर लॉबिंग की. आने वाले कुछ दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस नेता को लॉबिंग का फायदा मिला और किसे केवल विधायक पद से ही संतुष्टि करनी पड़ी.


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