Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में करीब एक साल के लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली सरकार का दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार हुआ. इस मंत्रिमंडल विस्तार में जिला बिलासपुर (Bilaspur) की घुमारवीं सीट से राजेश धर्माणी (Rajesh Dharmani) और जिला कांगड़ा की जयसिंहपुर से यादविंदर गोमा (Yadvinder Goma) को कैबिनेट में जगह मिली. दोनों ही विधायकों के नाम मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर चर्चाओं में थे, लेकिन चर्चा में शामिल सुधीर शर्मा (Sudhir Sharma) का नाम कैबिनेट में शामिल नहीं हो सका.


धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा एक मात्र ऐसे विधायक हैं जो वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में तो मंत्री रहे, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है. उनसे जूनियर विधायकों को मंत्री पद मिल गया, लेकिन सुधीर शर्मा के हाथ अब भी खाली हैं. सुधीर शर्मा की गिनती वीरभद्र कैबिनेट में सबसे शक्तिशाली मंत्रियों में होती रही.


वीरभद्र के 'वीर' को सुक्खू कैबिनेट का 'सुख' नहीं


अब ऐसे में सवाल है कि वीरभद्र के 'वीर' को सुक्खू कैबिनेट का 'सुख' क्यों नहीं मिल रहा? सुधीर शर्मा को मंत्री पद न दिए जाने को लेकर सियासी बाजार में अलग-अलग चर्चाएं हैं. इनमें सबसे पहले चर्चा यह है कि केंद्रीय स्तर के एक आला नेता सुधीर शर्मा को कैबिनेट में शामिल नहीं होना देना चाहते. इसके अलावा कांगड़ा की ही एक वरिष्ठ महिला नेता भी सुधीर शर्मा को कैबिनेट में लिए जाने के खिलाफ हैं. यही वजह है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जा रहा. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा बीजेपी के किशन कपूर से चुनाव हार गए थे. साल 2019 में किशन कपूर को लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया.


स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़े थे सुधीर शर्मा


किशन कपूर ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और वह दिल्ली चले गए. इसके बाद धर्मशाला विधानसभा सीट खाली हो गई. साल 2019 में यहां उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने मैदान में विशाल नेहरिया को उतारा, जबकि सुधीर शर्मा ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. इसके बाद यहां कांग्रेस ने इंद्र कर्ण को चुनावी मैदान में उतारा, जिनकी जमानत तक भी जब्त हो गई. इससे पहले साल 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने में भी सुधीर शर्मा ने असमर्थता जाहिर की थी. उनकी जगह कांग्रेस ने पवन काजल को मैदान में उतारा था. हालांकि साल 2022 की विधानसभा चुनाव से पहले पवन काजल बीजेपी में ही शामिल हो गए. वह हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे. मौजूदा वक्त में वे कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के विधायक हैं.


सुक्खू कैबिनेट में अब एक पद खाली


हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में 12 सदस्य हो सकते हैं. कैबिनेट में अब मुख्यमंत्री को मिलाकर सदस्यों की संख्या 11 हो चुकी है. अब भी मंत्री का एक पद खाली पड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले इस मंत्री पद को भरा जा सकता है. इससे पहले पूर्व बीजेपी सरकार में जिला कांगड़ा से तीन मंत्री रहे. इनमें सरवीन चौधरी, बिक्रम सिंह ठाकुर और किशन कपूर शामिल थे. साल 2019 में किशन कपूर के सांसद बनने के बाद नूरपुर से विधायक रहे राकेश पठानिया को साल 2020 में कैबिनेट में शामिल किया गया. मौजूदा वक्त में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में कांगड़ा से दो ही मंत्री हैं. ऐसे में एक और मंत्री जिला कांगड़ा से बनाए जाने की संभावना अब भी बरकरार है.


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