Himachal Pradesh Budget 2023 date: हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक गुरुवार दोपहर 12 बजे होगी. बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu ) करेंगे. कैबिनेट की इस बैठक में बजट सत्र (Himachal Pradesh Budget Session)की तारीख तय होने की संभावना है. हिमाचल मंत्रिमंडल की पहली बैठक 13 जनवरी को हुई थी. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पहली बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली का फैसला लिया गया था. हालांकि, अब तक इस बाबत अधिसूचना जारी नहीं हो सकी है. 


बजट की तारीख होगी तय


हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद यह सुक्खू मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक है. एक महीने से ज्यादा लंबे अंतराल के बाद मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक होने जा रही है. इस दौरान कैबिनेट बजट सत्र के लिए प्रस्तावित तारीखों की अनुशंसा कर राज्यपाल के पास भेजेगा. राज्यपाल से मंजूरी के बाद बजट सत्र की तारीख फाइनल होगी. हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 6 मार्च के बाद संभव है.


बैठक में हो सकते हैं ये बड़े फैसले


सुक्खू कैबिनेट की इस बैठक में युवाओं को एक लाख रोजगार और 18 से 59 साल की महिलाओं को हर महीने 1 हजार 500 रुपए की आर्थिक सहायता देने की गारंटी पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. पहली कैबिनेट बैठक में इन दोनों गारंटियों को पूरा करने के लिए सरकार ने कैबिनेट उप समिति का गठन किया था.


दो और गारंटियों पर भी हो सकता है फैसला


माना जा रहा है कि कैबिनेट बैठक के दौरान कैबिनेट उप समिति अपनी रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करेगी. इसके बाद इन दोनों गारंटियों पर सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है. दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले अपनी गारंटियों को पहली ही कैबिनेट में पूरा करने का वादा किया था. सरकार ने पहली कैबिनेट में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली फैसला तो ले लिया, लेकिन दूसरी गारंटियों को पूरा करने पर अभी काम चल रहा है. उप समितियों के गठन के बाद लोगों को अपने-अपने हित से जुड़ी गारंटी पूरे होने की उम्मीद है. हिमाचल सरकार इन गारंटियों को पूरा करने को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है.


कुछ संस्थानों को फिर से खोलने पर फैसला संभव


इसके अलावा सरकार कई ऐसे संस्थानों को भी दोबारा खोलने का फैसला ले सकती है, जिन्हें हाल ही में सरकार ने डिनोटिफाई किया है. इन संस्थानों को जरूरत के मुताबिक खोलने का काम किया जा रहा है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चुनाव से छह महीने पहले लिए गए सभी फैसलों को निरस्त कर दिया था.