Himachal Pradesh News: दो हफ्ते के इंतजार के बाद हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिव मंत्रियों के साथ अटैच कर दिए गए हैं. हिमाचल प्रदेश में 8 जनवरी को सभी मुख्य संसदीय सचिवों की शपथ राज्य सचिवालय में हुई थी. हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस (Congress) सरकार ने छह मुख्य संसदीय सचिवों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी है. मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा को विधि विभाग, संसदीय कार्य विभाग और बागवानी विभाग सौंपा गया है. रामकुमार को नगर नियोजन विभाग, उद्योग विभाग और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. इसी तरह आशीष बुटेल को शहरी विकास विभाग के साथ शिक्षा विभाग में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के साथ अटैच किया गया है.
इसके अलावा मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल को पशुपालन विभाग, ग्रामीण विकास के साथ पंचायती राज विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इससे पहले मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी को स्वास्थ्य जन संपर्क और लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है. इसके अलावा मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर को भी ऊर्जा, वन, परिवहन और पर्यटन विभाग विभाग का जिम्मा सौंपा जा चुका है. हिमाचल प्रदेश में बनाए गए छह मुख्य संसदीय सचिव अलग-अलग विभागों के मंत्रियों की काम में मदद करेंगे.
पहले सीपीएस के पास जाएंगे प्रस्ताव
17 जनवरी को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया गया था कि सीपीएस के पास किसी भी फाइल को मंजूरी देने का अधिकार नहीं होगा. सीपीएस सिर्फ अपना मत दर्ज करवा सकेंगे. इसके अलावा पत्र में यह भी कहा गया था कि विभागों की ओर से भेजे जाने वाले प्रस्ताव या फाइल संबंधित मंत्रियों से पहले सीपीएस के पास जाएंगे.
मुख्य संसदीय सचिवों के पास अंतिम फैसला लेने की शक्ति नहीं
मुख्य सचिव ने यह आदेश मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए निर्देशों पर जारी किए थे. सीपीएस को प्रस्ताव या फाइल पर अपना मत दर्ज करवाने का पूरा अधिकार होगा. हालांकि, किसी भी तरह का अंतिम फैसला संबंधित अधिकार मंत्री के हाथ में ही रहेगा. सामान्य प्रशासन विभाग ने सीपीएस के कार्यों को लेकर सभी प्रशासनिक सचिवों को दिशा निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं.