Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. सोमवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली मामला सूचीबद्ध था. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 31 अगस्त को निर्धारित की है. अदालत ने सीपीएस की नियुक्तियों से जुड़े सभी मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए भी सूचीबद्ध किया. इससे पहले इस मामले में 19 मई को सुनवाई हुई थी.
तीनों याचिकाओं पर एक साथ होगी सुनवाई
हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने के लिए तीन याचिका दर्ज की गई है. सबसे पहले साल 2016 में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नमेंट संस्था ने सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी थी. उस वक्त हिमाचल में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में सरकार चल रही थी. नई नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया है. इसके अलावा मंडी की रहने वाली कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों के खिलाफ याचिका दायर की है.
उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति को भी चुनौती
हिमाचल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और ऊना सदर से विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने उप मुख्यमंत्री और सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला लिया है. गौरतलब है कि सीपीएस को जारी किए गए अदालती नोटिस की तामील नहीं हो रही है. अभी तक उप मुख्यमंत्री समेत दो ही मुख्य संसदीय सचिवों ने नोटिस स्वीकार किए हैं. जानकारी के मुताबिक, चार मुख्य संसदीय सचिव ने अब तक अदालत के नोटिस भी रिसीव नहीं किए.
ये हैं मुख्य संसदीय सचिव
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई है. इनमें अर्की विधानसभा क्षेत्र से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से राम कुमार रोहडू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष पटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया है. इन मुख्य संसदीय सचिव होने जनवरी महीने में कैबिनेट मंत्रियों से पहले राज्य सचिवालय में शपथ ली थी.
यह भी पढ़े: हिमाचल में अब 'अटकी' हुई प्रतियोगी परीक्षा कराएंगे CM सुक्खू, 1.49 लाख स्टूडेंट्स को होगा फायदा