Himachal Pradesh Disaster: हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई और 1 अगस्त की दरमियानी रात आसमान से आफत बरसी. तीन अलग-अलग जगह पर बादल फटने की वजह से 55 लोग लापता हो गए. इससे सरकारी संपत्ति के साथ निजी संपत्ति को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ.

 

वहीं 55 लापता लोगों को ढूंढने के लिए अब भी 513 जवानों की बड़ी टीम लगी हुई है. इसके अलावा हेवी मशीनरी के जरिए सर्च ऑपरेशन में तेजी लाने का काम किया जा रहा है. यह सर्च ऑपरेशन 206 घंटे से भी ज्यादा वक्त से जारी है.

 

तीन जगहों से कुल 55 लोग हुए थे लापता

1 अगस्त की सुबह कल्लू के बागीपुल से 12, शिमला के समेज से 33 और मंडी के टिक्कन से 10 लोग लापता हुए. बागीपुल से चार, समेज से 15 और टिक्कन से नौ लोगों के शव बरामद हो गए हैं. इनमें 14 शवों की पहचान भी कर ली गई है. सर्च ऑपरेशन में मिल रहे शवों की पहचान करने के लिए परिजनों के डीएनए टेस्ट भी करवाए गए हैं.

 

शिमला जिला उपायुक्त अनुपम कश्यप और पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी भी लगातार नौ दिनों से ग्राउंड जीरो पर डटे हुए हैं. 31 जुलाई की दिन-रात शुरू हुई बारिश ने 60 मकान को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया, जबकि 35 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ. इसके अलावा 19 पशुघर भी इसकी चपेट में आ गए.

 

513 जवानों की बड़ी टीम चला रही सर्च ऑपरेशन 

बागीपुल, समेज और टिक्कन में 27 लापता लोगों को ढूंढने के लिए 513 जवानों की बड़ी टीम लगी हुई है. कुल्लू में 53, समेज में 368 और टिक्कन में 92 जवान लापता लोगों को ढूंढ रहे हैं. 86 जवानों की टीम सतलुज नदी के किनारे शवों को ढूंढने का काम कर रही है. 85 किलोमीटर के बड़े दायरे में यह जवान समेज गांव से सुन्नी डैम तक सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं.

 

यहां 1 अगस्त की शाम को ही किसी भी लापता व्यक्ति के जीवित मिलने की संभावना लगभग खत्म हो चुकी थी. अब नौ दिन बीत जाने के बाद परिजन सिर्फ अपनों का शव ढूंढना चाहते हैं, ताकि सनातन धर्म के रीति-रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जा सके.

ये भी पढ़ें: Shimla: लूहरी-सुन्नी हाइड्रो प्रोजेक्ट के प्रभावितों ने की CM सुक्खू से मुलाकात, जानें क्या रखी मांग