Himachal Pradesh News: बजट 2023 की तैयारी शुरू, दिल्ली पहुंचे CM जयराम ठाकुर, जानें- हिमाचल के लिए क्या हैं इसके मायने
Himachal Pradesh: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद इस बैठक में भाग लेने पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री बैठक में हिमाचल प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखेंगे, ताकि हिमाचल प्रदेश को बजट में ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके.
Jai Ram Thakur Union Budget Meeting: देश की राजधानी दिल्ली में केंद्रीय बजट को लेकर होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के भाग लेंगे. गुरुवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकारी हेलीकॉप्टर में वित्त सचिव प्रबोध सक्सेना के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं. केंद्रीय पोषित हिमाचल प्रदेश के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद इस बैठक में भाग लेने पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री बैठक में हिमाचल प्रदेश का पक्ष मजबूती से रखेंगे, ताकि हिमाचल प्रदेश को बजट में ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके. हिमाचल प्रदेश में अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए अपने संसाधन कम हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश केंद्र के सहयोग पर निर्भर रहता है.
इन बड़ी मांगों को लेकर बैठक में पहुंचेंगे CM जयराम
केंद्रीय बजट के लिए हो रही इस बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के लिए जीएसटी कंपनसेशन को फिर बहाल करने की मांग करेंगे. हालांकि यह मामला जीएसटी काउंसिल से जुड़ा हुआ है, लेकिन बावजूद इसके बैठक में भी यह मामला उठाया जाएगा. हिमाचल प्रदेश को जीएसटी कंपनसेशन न मिलने की वजह से चार हजार करोड़ तक का नुकसान हो चुका है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम के तहत मिलने वाली कैपिटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी को शेष 600 करोड़ की देनदारी पूरी करने के साथ बहाल करने मांग उठाई जाएगी. इस स्कीम के जरिए हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र में लगातार विकास देखने को मिला है. बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हेली एंबुलेंस के मसले को भी उठाएंगे. पहाड़ी राज्य में हेली एंबुलेंस संजीवनी का काम करती है.
आखिरी तिमाही के लिए कर्ज सीमा बढ़ाने की मांग
बैठक के बाद व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर वित्त मंत्रालय के बड़े अधिकारियों के साथ मुलाकात कर सकते हैं. इसमें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश की लोन लिमिट बढ़ाने की मांग उठाएंगे. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वित्त वर्ष में 97 हजार करोड़ रुपए की कर्ज़ लिमिट है. इसमें 7 हजार करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है. हिमाचल प्रदेश के पास अब केवल 2 हजार 700 करोड़ रुपए ही बचे हैं. इतने बजट से हिमाचल प्रदेश में गुजारा संभव नहीं है. क्योंकि अभी कर्मचारियों के सात फीसदी पे कमीशन और डी.ए. की देनदारी भी बची है. ऐसे में आखिरी तिमाही के लिए वित्त विभाग से लोन लिमिट को बढ़ाने की मांग उठाई जाएगी. हर वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में सरकार के सामने ऐसा वित्तीय संकट पैदा होते हुए देखा जाता है.
नई सरकार पर बड़ी जिम्मेदारी
दिसंबर महीने के अंत तक हिमाचल प्रदेश में 14 विधानसभा का गठन हो जाएगा. नई सरकार के लिए हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति को संभाल कर रखना एक बड़ी चुनौती रहने वाला है. सरकार के सामने कर्मचारियों की देनदारी के साथ विकास कार्य को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी. बीजेपी के संकल्प पत्र और कांग्रेस के प्रतिज्ञा पत्र में जनता के लिए भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई हैं. ऐसे में कर्ज के बोझ तले दबे और केंद्रीय सहयोग पर चलने वाले हिमाचल प्रदेश के सामने इन चुनौतियों को पार करने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी.