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Himachal Pradesh: पैकिंग मटेरियल पर कम हो GST, सीएम जयराम ठाकुर ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की बैठक में की मांग
Delhi Ministry of Finance Meeting: केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से साल 2023-24 के बजट के लिए रखी गई मीटिंग में सीएम जयराम ठाकुर ने पैकिंग मटेरियल में जीएसटी को 12 फीसदी करने की मांग उठाई है.

(साल 2023-24 के बजट के लिए दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की बैठक)
Delhi Ministry of Finance Meeting: साल 2023-24 के बजट के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से एक बैठक रखी गई. यह बैठक राजधानी दिल्ली में हुई. बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री ने भाग लिया. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Jairam Thakur) भी बतौर वित्त मंत्री इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पैकिंग मटेरियल में बढ़ाए गए जीएसटी (GST) को 18 फीसदी से कम कर 12 फीसदी करने की मांग उठाई है.
गौरतलब है कि सेब की पैकिंग करने में जिस मटेरियल का इस्तेमाल होता है, उस पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जा रहा है. इससे बागवान में भी खासा रोष है. हालांकि, प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर 18 में 6 फीसदी जीएसटी को एचपीएमसी के जरिए भुगतान करने की बात कही थी, लेकिन प्रदेश सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार के स्तर पर यह मसला सुलझ जाए, ताकि हिमाचल प्रदेश के बागानों को राहत मिल सके.
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GST कंपनसेशन बहाल करने की मांग
सभी राज्यों के लिए जीएसटी कंपनसेशन एक बड़ा मुद्दा है. केंद्र के सहयोग से चलने वाले हिमाचल प्रदेश के लिए इसकी महत्ता और भी अधिक हो जाती है. जीएसटी कंपनसेशन न मिलने की वजह से हिमाचल प्रदेश को हर साल 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है. 72 हजार करोड़ के कर्ज तले दबे हिमाचल प्रदेश के लिए यह आंकड़ा बहुत बड़ा है. ऐसे में अगर सरकार जीएसटी कंपनसेशन बहाल करती है, तो इससे हिमाचल प्रदेश को बड़ी राहत मिलेगी. हालांकि, यह एजेंडा बजट बैठक की जगह जीएसटी काउंसिल के अधिकार क्षेत्र में आता है.
केंद्र पोषित राज्य है हिमाचल प्रदेश
बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हेली टैक्सी के साथ इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम के तहत मिलने वाली कैपिटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी की शेष देनदारी को पूरा करने के साथ इसे बहाल करने की भी मांग उठाई है. हिमाचल प्रदेश एक केंद्रीय पोषित राज्य है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए केंद्र के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है. हिमाचल प्रदेश में आर्थिकी के अपने साधन नाम मात्र के हैं. हिमाचल प्रदेश का अधिकतम के बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों की तनख्वाह और रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देने में चला जाता है. ऐसे में केंद्रीय बजट से हिमाचल प्रदेश को बड़ी उम्मीदें रहती हैं. केंद्र की बड़ी योजनाओं से ही हिमाचल प्रदेश में विकास कार्य पूरे किए जाते हैं.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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