Himachal Pradesh Politics: हिमाचल प्रदेश के तीन विधानसभा क्षेत्र में 10 जुलाई को मतदान होना है. कांग्रेस और बीजेपी का उपचुनाव के लिए प्रचार जोरों पर है. हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीजेपी के नौ विधायकों की सदस्यता जाने की बात कही थी. मुख्यमंत्री ने संकेत दिए थे कि बजट सत्र के दौरान बीजेपी के नौ विधायकों के दुर्व्यवहार के चलते उनकी सदस्यता खतरे में है.
रविवार (23 जून) को शिमला में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि "आज तक हिमाचल प्रदेश की राजनीति के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है. विधानसभा अध्यक्ष एक संवैधानिक पद है और उनकी कुर्सी का सम्मान भी जरूरी है, लेकिन बीजेपी विधायकों ने दुर्व्यवहार किया. कांग्रेस के सदस्य ने ही इस संबंध में याचिका भी दायर की है. यह याचिका विधानसभा अध्यक्ष के सामने लंबित है. विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें नोटिस भी जारी किए हैं."
CM सुक्खू का नेता प्रतिपक्ष पर निशाना
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि "नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर टिप्पणी करने में लगे हैं. छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कानून के तहत हुई है. फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में जयराम ठाकुर लगातार इस मामले पर टिप्पणी करने में लगे हुए हैं. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है."
उन्होंने कहा कि "इस बीच सवाल उठता है कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर इस बारे में बार-बार टिप्पणी करने का काम क्यों कर रहे हैं? उन्होंने पूछा कि जयराम ठाकुर को इसके बारे में क्या ज्ञान है." बता दें जयराम ठाकुर ने अपने एक भाषण में कहा था कि कांग्रेस की सरकार अब भी सुरक्षित नहीं है. मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति असंवैधानिक है और मुख्य संसदीय सचिवों की विधानसभा से सदस्यता भी रद्द हो सकती है.
तीन विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जीत का दावा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तीन विधानसभा क्षेत्र में होने जा रहे उपचुनाव में जीत का भी दावा किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि "तीनों निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिया. उनसे जनता पूछेगी कि आखिर उन्होंने निर्दलीय होते हुए भी इस्तीफा क्यों दिया? अगर कांग्रेस की सरकार में उनके काम नहीं हो रहे थे, तो वो तो विपक्ष में जाकर बीजेपी के साथ भी बैठ सकते थे. उन्हें इस्तीफा देने की क्या जरूरत थी? जनता को तीनों निर्दलीय विधायक से यह सवाल पूछने ही चाहिए कि आखिर उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया और जनता पर उपचुनाव क्यों थोप दिए?"