Himachal Pradesh News: जुलाई-अगस्त के महीने में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में हुई बारिश के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था. इस तबाही ने प्रदेश के लोगों को कई गहरे ज़ख्म दिए. इससे कई परिवार उजड़ गए. प्रदेश में न केवल राज्य सरकार को बड़ा नुकसान हुआ बल्कि करीब 450 लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ी. इस आपदा से सीख लेते हुए प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disaster) से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठा रही है. इस कड़ी में राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण पर रोक लगाने के उद्देश्य से भी कई उपाय लागू किए हैं.
शिमला शहर में वर्तमान योजना क्षेत्र के अंतर्गत 414 हेक्टेयर भूमि में 17 ग्रीन बेल्ट है. इस क्षेत्र की 76 प्रतिशत भूमि सरकार के अधीन है. आठ क्षेत्रों को ग्रीन जोन घोषित करने की स्वीकृति दी है. इनमें शिमला के रिट्रीट, मशोबरा, बंद टुकड़ा एंड्री शिव मंदिर एंड्री, ताल और गिरी, डीपीएफ खलीनी, बीसीएस मिस्ट चैम्बर और परिमहल शामिल हैं.
प्रदेश में आई आपदा से सीख लेने की जरूरत
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा से सीख लेने पर बल देते हुए प्रदेश में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने की बात कही है. मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक में कहा कि शिमला के योजना क्षेत्र के ग्रीन जोन में और अधिक क्षेत्र शामिल करने के लिए विकास योजना के चैप्टर-17 में संशोधन शामिल है. इस पहल का उद्देश्य न केवल मौजूदा हरित पट्टियों की रक्षा करना है, बल्कि इन ग्रीन बेल्ट में मानवीय हस्तक्षेप को भी कम करना है.
बेदर्दी निर्माण को रोककर विस्तार करने की जरूरत
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कुल्लू और चौपाल में इसी प्रकार के उपायों की जरूरत को ध्यान में रखा जा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण को नियंत्रित करने के लिए योजना क्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है.
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