Himachal Pradesh News: शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने का काम जारी है. संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने का काम शुरू कर दिया है. इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. शिमला स्थित राज्य सचिवालय में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. मीडिया से अभी यह जानकारी मिली है. 


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इस तरह के भाईचारे का यह पहला उदाहरण है. मुख्यमंत्री ने कहा, ''मस्जिद के अवैध बताया जा रहे हिस्से को खुद ही मस्जिद कमेटी ने हटाने की पेशकश की थी. हिमाचल प्रदेश में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है. यहां हर धर्म और जाति के लोगों को काम करने के स्वतंत्रता है. यहां सभी का सम्मान होता है.''


शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने क्या कहा?
वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार में शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि राज्य में भाईचारा कायम रहना चाहिए. प्रदेश में भाईचारा बना रहे, यह सभी का दायित्व है. राज्य में 70 लाख लोगों के हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है. 


उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाईचारे का माहौल बना रहे, इसके लिए वह काम कर रहे हैं. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अगर मस्जिद कमेटी को अवैध हिस्से को हटाने के लिए कुछ वक्त चाहिए, तो वह इसके लिए नगर निगम आयुक्त की अदालत में एप्लीकेशन दायर कर सकते हैं. गौर हो कि मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ का कहना है कि मस्जिद के अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने के लिए फंड की कमी आ रही है.


हिमाचल राज्य वक्फ बोर्ड ने दी NOC 
बता दें कि हिमाचल प्रदेश राज्य वक्फ बोर्ड ने संजौली मस्जिद कमेटी को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) दे दिया है. संजौली मस्जिद कमेटी ने वक्फ बोर्ड से मस्जिद के अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की अनुमति मांगी थी. वक्फ बोर्ड की ओर से इस संबंध में नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है. संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि आज से ही मस्जिद के अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने का काम शुरू होगा.


उन्होंने कहा कि संजौली मस्जिद कमेटी ने यह कदम आपसी भाईचारे को कायम रखने के लिए उठाया था और वह अपनी बात पर कायम हैं. बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त की अदालत ने मस्जिद के दूसरे, तीसरे और चौथे फ्लोर को हटाने के निर्देश जारी किए थे. इससे पहले मस्जिद कमेटी ने खुद ही नगर निगम आयुक्त के समक्ष मस्जिद के अवैध बताए जा रहे हिस्से को हटाने की पेशकश भी की थी.


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