Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के आदेश के बाद राज्य सरकार ने संजय कुंडू (Sanjay Kundu) को डीजीपी के पद से हटा दिया है. उन्हें अब आयुष विभाग (Ayush Department) में प्रधान सचिव (Chief Secretary) के तौर पर नियुक्ति दी गई है. संजय कुंडू अब इसी पद पर सेवा देंगे. कारोबारी निशांत शर्मा (Nishant Sharma) से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए संजय कुंडू को डीजीपी और शालिनी अग्निहोत्री को कांगड़ा (Kangra) पुलिस अधीक्षक पद से हटाने के आदेश दिए थे.


संजय कुंडू को डीजीपी के पद से हटाए जाने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान सामने आया है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने उन्हें हटाया नहीं है, बल्कि पदोन्नति दी है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि संजय कुंडू ईमानदार छवि के अधिकारी हैं और उन्होंने 35 साल तक प्रदेश की सेवा की है. निशांत शर्मा से जुड़े मामले में उनका नाम सामने आया और हाईकोर्ट के आदेश के बाद निर्णय लिया गया. सीएम ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में जांच को प्रभावित न करें, इसलिए उन्हें पद से हटाने के लिए कहा गया था. लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें आयुष विभाग में प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त कर पदोन्नति दी है.


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विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस करती थी संजय कुंडू का विरोध
विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस लगातार संजय कुंडू का विरोध करती रही. हिमाचल प्रदेश पुलिस कॉन्स्टेबल में पेपर लीक होने के बाद कांग्रेस ने प्रदेशव्यापी प्रदर्शन कर संजय कुंडू को पद से हटाने की मांग की. तब सीएम रहते हुए जयराम ठाकुर ने विपक्ष की इस मांग को नहीं माना. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तब हर किसी को लग रहा था कि संजय कुंडू को किसी अन्य जगह ट्रांसफर किया जाएगा, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. 


क्या है मामला?
पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने 28 अक्टूबर को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के नाम ई-मेल भेज कर अपनी जान को खतरा बताया था. निशांत शर्मा ने संजय कुंडू पर गंभीर आरोप लगाए थे. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस ने निशांत की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की थी. निशांत शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसे पालमपुर के एसएचओ ने शिमला जाकर संजय कुंडू से मिलने के लिए दबाव डाला.


कुंडू ने निशांत शर्मा के खिलाफ भी दर्ज करवाई थी FIR 
निशांत शर्मा ने संजय कुंडू को भी मेल भेजकर यह पूछा था कि उसे शिमला क्यों बुलाया जा रहा है? इस पर कुंडू ने निशांत शर्मा पर छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में यह तर्क देकर एफआईआर दर्ज करवा दी कि झूठे आरोप लगाकर उनकी मानहानि की गई है. मामले में छह बार सुनवाई के बाद 21 दिसंबर को उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 26 दिसंबर को उच्च न्यायालय ने अपना निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए संजय कुंडू और शालिनी अग्निहोत्री को पद से हटाने के लिए कहा था. 


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