Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह शुक्रवार को जिला शिमला के दूरदराज कुपवी इलाके में पहुंचे. मुख्यमंत्री ने यहां 81.23 करोड़ रुपये की विकासात्मक परियोजनाएं क्षेत्र के लोगों को समर्पित की. उन्होंने 2.32 करोड़ रुपये की लागत से काटली खड्ड पर 40 मीटर लंबे पुल, 2.65 करोड़ रुपये की लागत से लोहाना खड्ड पर निर्मित पुल, 3.04 करोड़ रुपये की लागत से बासाधार-ज्ञानकोट सड़क पर भ्रोट खड्ड पर निर्मित पुल, 85 लाख रुपये से कुठार-कनोड़ी सड़क पर निर्मित पुल और 7.72 करोड़ रुपये से सैंज-देहा-चौपाल सड़क पर बने बजरौली पुल का लोकार्पण किया.


दो लाभार्थियों को घर बनाने के लिए आर्थिक मदद 


इसके साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सुख आश्रय योजना के तहत छह लाभार्थियों को 4-4 हजार रुपये प्रति लाभार्थी, दो लाभार्थियों को घर बनाने के लिए एक-एक लाख रुपये, मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना के तहत 13 लाभार्थियों को वित्तीय सहायता, बेटी है अनमोल योजना के तहत छह लाभार्थियों को 21-21 हजार रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट भी दिया.






2171 पात्र महिलाओं को 97 लाख 69 हजार 500 रुपये


कुपवी में आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख-सम्मान निधि योजना के तहत कुपवी की 2 हजार 171 पात्र महिलाओं को 97 लाख 69 हजार 500 रुपये की सम्मान राशि भी दी. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार की यह वही सम्मान राशि देने की योजना है, जिसे लेकर विपक्ष लगातार कांग्रेस पर हमलावर है. सत्ता में आने से पहले बिना शर्त 18 साल से 59 साल की महिलाओं को हर महीने 1 हजार 500 रुपये सम्मान निधि के तौर पर देने की बात कही गई थी.


हालांकि अब केवल पात्र महिलाओं को ही यह सम्मान राशि दी जा रही है. कुपवी में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कठिन क्षेत्र होने की वजह से कुपवी में ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’ के नियमों में बदलाव किया जाएगा. नौकरी करने वाली महिलाओं के अतिरिक्त यहां सभी महिलाओं को 1500-1500 रुपये दिए जाएंगे.


कुपवी में जनसभा को भी किया संबोधित


कुपवी में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "प्रदेश सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी. शिक्षा का आधारभूत ढांचा सुदृढ़ किया जाएगा. स्कूलों में अध्यापकों की कमी होने पर प्रति घंटा के आधार पर अध्यापकों की सेवाएं ली जाएगी जब तक कि स्कूल में नियमित अध्यापक तैनात नहीं किए जाते.


इसके लिए प्रधानाचार्यों को अधिकृत किया जाएगा. हम व्यवस्था परिवर्तन से कार्य कर रहे हैं, क्योंकि बदलाव प्रकृति का नियम है. बदलाव यदि जनहित हो, तो वह सर्वोपरि होता है. प्रदेश सरकार द्वेष की भावना से नहीं, बल्कि जनसेवा की भावना से कार्य कर रही है. हमारी सरकार प्रदेश के संसाधनों की संरक्षक है. प्रदेश के संसाधनों की सुरक्षा और सामाजिक समानता व अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिए हम काम कर रहे हैं".