Electric Vehicle Policy: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के सत्ता संभालते ही राज्य में नई 'इलेक्ट्रिक वाहन नीति' को हरी झंडी दिखा दी गई है. इसके बाद अब सरकार विधायकों और मंत्रियों के काफिले को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में बदलने की प्रक्रिया में जुट गई है. इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए सोमवार को उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की टेस्ट ड्राइव ली. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार नई परिवहन नीति के जरिए प्रदेश के परिवहन क्षेत्र में आयोजित परिवर्तन की दिशा में सकारात्मक प्रयास करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
सरकारी गाड़ियों में डीजल पर रोजाना आता है डेढ़ करोड़ का खर्च
शुरुआती चरण में सचिवालय में इलेक्ट्रिक वाहनों के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके बाद सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाया जाएगा. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रतिदिन डीजल खर्च लगभग डेढ़ करोड़ रुपए तक आता है. ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ प्रदेश सरकार की जेब पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करने में कारगर सिद्ध होगी.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आगामी बजट सेशन के दौरान 200 से 300 इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने पर भी चर्चा की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियां लीज पर लेने को लेकर भी विचार किया जाएगा और इस मामले में केंद्र सरकार से भी बात की जाएगी.
पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम
हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार परिवहन निगम के वोल्वो बस के बेड़े को सुदृढ़ करने की दिशा में भी काम करने के लिए तत्पर है. हिमाचल पथ परिवहन निगम की वोल्वो के अलावा चलने वाली अन्य 125 वोल्वो वाहनों के पंजीकरण से लेकर संचालन की प्रक्रिया के बारे में भी रिपोर्ट देने निर्देश दिए गए हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार ने पहाड़ी राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है.