Old Pension Scheme Restored in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर दिया है. हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की पहली बैठक में ही कांग्रेस (Congress) सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने का फैसला लिया. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू मीडिया से भी रूबरू होंगे. चुनाव में कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग थी, जिसे पूरा करने का वादा कांग्रेस के नेताओं ने किया था.
हिमचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का वादा किया था. प्रियंका गांधी से लेकर हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की बात कही थी. इस मुद्दे को लेकर जमकर राजनीति भी हुई थी. हालांकि, चुनाव प्रचार में कांग्रेस की तरफ से किया गया ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का वादा बीजेपी पर भारी पड़ गया और सत्ता से हाथ धोना पड़ा.
एनपीएस के तहत आते हैं लगभग 1.5 लाख कर्मचारी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग 2.75 लाख है. आंकड़ें बताते हैं कि इनमें से करीब 1.5 लाख कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत आते हैं. ओपीएस में पेंशनरों को कर्मचारी के रूप में अंत में ड्रॉ किए वेतन का 50 फीसदी ही मिलता है. इसके विपरीत एनपीएस एक कंट्रीब्यूटरी स्कीम है, जिसमें कर्मचारियों को अपने वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा देना होता है. सरकार कर्मचारी के एनपीएस खाते में 14 प्रतिशत भाग डालती है.
साल 2003 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को नहीं मिल रहा ओपीएस का लाभ
हिमाचल प्रदेश में 2003 से पहले नियुक्त 1,90,000 कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ मिल रहा है. इसके बाद नियुक्त किए गए सभी कर्मचारियों को एनपीएस के तहत ही पेंशन मिल रही है. हिमाचल प्रदेश से पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने की बात कही है.
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