Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) से गगरेट विधायक चैतन्य शर्मा (Chaitanya Sharma) के पिता और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा (Ashish Sharma) को बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने विधायक चैतन्य शर्मा के पिता और निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी है. न्यायाधीश रंजन शर्मा ने राकेश शर्मा और आशीष शर्मा द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद दोनों प्रार्थियों को यह राहत दी है.


इसके अलावा न्यायाधीश ने आदेश दिए कि वह 15 मार्च को बालूगंज पुलिस थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करें और जांच में सहयोग दें. इन दोनों पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद फरोख्त करने और करोड़ों के लेन देन करने के आरोप लगाए गए हैं. कांग्रेस के बागी विधायक चैतन्य शर्मा के पिता और निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा के खिलाफ केस दर्ज किए जाने के बाद से प्रदेश में सियासी उटापटक बढ़ गई है.


इन धाराओं में केस दर्ज
वहीं याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में कांग्रेस के बागी और गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 171 ए, 171 सी, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है.


लगा ये आरोप
कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार बागी विधायक के पिता और निर्दलीय विधायक ने राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित किया है. शिकायतकर्ताओं ने दोनों पर वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत और पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए हैं. शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने सरकार गिराने के लिए साजिश रची. शिकायतकर्ताओं ने हमीरपुर के निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और अयोग्य विधायक चैतन्य शर्मा के पिता के बैंक खातों की जांच कराए जाने की भी मांग की है. दोनों याचिकाओं पर सुनवाई 16 मार्च को होगी. 


बागी विधायकों ने क्या कहा?
दरअसल हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 और तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के लिए मतदान किया था. आशीष और चैतन्य का नाम भी उन नौ विधायकों में शामिल है. वहीं इस पूरे मामले पर बागी विधायकों ने कहा कि विधायकों और उनके परिवारों के कारोबार पर दबाव डालने और उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने की रणनीति सरकार को नहीं बचाएगी.


बता दें हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी को छह विधायकों सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो को पार्टी व्हिप की अवहेलना करने के लिए कांग्रेस की याचिका पर छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.



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